Sunday, December 14, 2025
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Nehru: लेडी माउन्टबेटन का नाम लेकर पीएम नेहरू को छेड़ा राजकपूर, दिलीप कुमार & देवानंद ने

Nehru:जब बॉलीवुड के तीन दिग्गजों ने PM नेहरू को छेड़ा: राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की लेडी माउंटबेटन पर हुई मज़ेदार नोकझोंक का पूरा किस्सा..

Nehru:जब बॉलीवुड के तीन दिग्गजों ने PM नेहरू को छेड़ा: राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की लेडी माउंटबेटन पर हुई मज़ेदार बातचीत का पूरा किस्सा..

हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर के तीन सबसे चमकदार सितारे—दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद, एक बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलने पहुंचे थे। यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक शिष्टाचार तक सीमित नहीं रही, बल्कि हंसी-मजाक और आत्मीय बातचीत से भरी एक यादगार शाम बन गई।

कहा जाता है कि इस दौरान तीनों कलाकारों ने लेडी एडविना माउंटबेटन के साथ नेहरू के नाम से जोड़ी जाने वाली चर्चित कहानियों को लेकर उन्हें हल्के-फुल्के अंदाज़ में छेड़ा था। यह सुनकर प्रधानमंत्री न सिर्फ मुस्कुराए, बल्कि पूरे मन से उस बातचीत का आनंद भी लिया।

हिंदी सिनेमा की मशहूर तिकड़ी और एक यादगार मुलाकात

दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद—ये तीनों कलाकार 1950 के दशक में न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर छाए हुए थे, बल्कि अपने व्यक्तित्व, आकर्षण और अभिनय कौशल के कारण पूरे देश की युवा पीढ़ी के आदर्श माने जाते थे। पर्दे पर उनकी लोकप्रियता जितनी गहरी थी, उतनी ही चर्चित उनकी दोस्ती और आपसी बॉन्डिंग भी थी। इन्हीं गुणों के कारण जब वे तीनों एक साथ किसी से मिलते थे, तो माहौल अपने-आप जीवंत हो जाता था।

तीन मूर्ति निवास में हुआ गर्मजोशी भरा स्वागत

यह किस्सा रितु नंदा की चर्चित पुस्तक ‘राज कपूर: द वन एंड ओनली शोमैन’ में दर्ज है। किताब में राज कपूर ने उस मुलाकात को याद करते हुए लिखा है कि एक दिन दिलीप कुमार, देव आनंद और उन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने आवास, तीन मूर्ति भवन, बुलाया था। उस समय नेहरू हाल ही में एक गंभीर स्ट्रोक से उबरे थे और सामान्य रूप से अपेक्षाकृत शांत और गंभीर नजर आ रहे थे।

हालांकि जैसे ही उन्होंने तीनों कलाकारों को सामने देखा, उनका मिज़ाज पूरी तरह बदल गया। नेहरू ने बड़े स्नेह के साथ तीनों को गले लगाया और ऐसा लगा मानो वे किसी औपचारिक पद पर बैठे राजनेता नहीं, बल्कि पुराने दोस्तों से मिलने वाले इंसान हों। राज कपूर के अनुसार, नेहरू का जोश और आत्मीयता उस क्षण साफ झलक रही थी।

औपचारिकता टूटी, दोस्ताना माहौल बना

बैठक शुरू होते ही प्रधानमंत्री ने अपने विदेश दौरों, अंतरराष्ट्रीय नेताओं से मुलाकातों और दुनिया भर में देखे गए अनुभवों के किस्से सुनाने शुरू कर दिए। तीनों कलाकार मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते रहे। राज कपूर ने लिखा कि धीरे-धीरे वातावरण इतना सहज हो गया कि सब खुलकर बातें करने लगे, मानो वर्षों बाद मिले किसी घनिष्ठ मित्र के साथ बैठकर दिल खोल रहे हों। राजनीति और सत्ता की गंभीर दीवारें उस वक्त गायब हो चुकी थीं।

निजी जीवन पर हुई मज़ेदार छेड़छाड़

बातचीत आगे बढ़ी तो माहौल और हल्का होता चला गया। इसी क्रम में तीनों कलाकारों ने मज़ाक-मज़ाक में नेहरू की लोकप्रियता और उनके व्यक्तित्व पर बात छेड़ दी। राज कपूर के शब्दों में, उन्होंने हंसते हुए पूछा, -“नेहरू जी, हमने सुना है कि आप अपने समय में बेहद लोकप्रिय थे और जहां भी जाते थे, लोग, खासतौर पर महिलाएं—आपकी ओर खिंच चली आती थीं।”

नेहरू ने तुरंत अपनी चिर-परिचित मुस्कान के साथ जवाब दिया, – “आप तीनों जितने लोकप्रिय तो मैं कभी नहीं रहा!” यह जवाब सुनकर सब ठहाका लगाकर हंस पड़े।

लेडी माउंटबेटन का नाम सुनकर शरमा गए नेहरू

इसके बाद बातचीत और भी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई। कलाकारों ने आगे चुटकी लेते हुए सवाल किया कि क्या उनकी मशहूर मुस्कान ने लेडी एडविना माउंटबेटन का दिल जीत लिया था। यह सुनते ही नेहरू क्षण भर के लिए झेंप गए, लेकिन फिर उस सवाल का आनंद लेते हुए हंसने लगे। उन्होंने मुस्कराकर कहा कि उन्हें अपने बारे में सुनाई जाने वाली ऐसी कहानियां सुनना अच्छा लगता है।

दिलीप कुमार भी मज़ाक में हुए शामिल

प्रधानमंत्री की सहजता और खुलेपन को देखकर दिलीप कुमार भी खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में कहा कि लोगों ने उन्हें भी इन किस्सों पर यकीन करने के लिए मजबूर कर दिया था। इस पर नेहरू ने हल्की मुस्कान के साथ फिर से हंसते हुए माहौल को और खुशनुमा बना दिया।

एक प्रधानमंत्री, जो उस पल सिर्फ दोस्त थे

राज कपूर ने लिखा कि उस शाम नेहरू ऐसे लग रहे थे मानो भारी राजनीतिक जिम्मेदारियों से कुछ समय के लिए मुक्त होकर इंसानी रिश्तों और हंसी-मजाक का आनंद ले रहे हों। वह मुलाकात इस बात की मिसाल थी कि देश के सबसे शक्तिशाली पद पर बैठा व्यक्ति भी दिल से कलाकारों की संगत और सादगी भरे पलों को कितना संजो सकता है।

यह किस्सा आज भी भारतीय राजनीति और सिनेमा के इतिहास में एक अनोखी, मानवीय और मुस्कान से भरी याद के रूप में याद किया जाता है।

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