Tuesday, October 21, 2025
Google search engine
HomeदुनियादारीNepal in fire: एक के बाद एक भारत के पड़ोसी देशों में...

Nepal in fire: एक के बाद एक भारत के पड़ोसी देशों में लगी आग – जानिये किसकी है ये साजिश

Nepal in fire: एक के बाद एक भारत के पड़ोसी देशों का बुरा हाल हो रहा है - ये संयोग हो नहीं सकता ये साजिश है गहरी या कहें डीप स्टेट का नेपाली चैप्टर है..

Nepal in fire: एक के बाद एक भारत के पड़ोसी देशों का बुरा हाल हो रहा है – ये संयोग हो नहीं सकता ये साजिश है गहरी या कहें डीप स्टेट का नेपाली चैप्टर है..

पहले श्रीलंका, फिर बांग्लादेश और अब नेपाल… भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या यह केवल संयोग है या किसी प्रयोग का हिस्सा? क्या इसके पीछे बाहरी ताकतों का हाथ है? गौर करने वाली बात यह है कि तीनों ही देशों में एक जैसी परिस्थितियाँ और पैटर्न देखने को मिले हैं—चाहे वह उग्र प्रदर्शन हों या फिर तख्तापलट की कोशिशें।

नेपाल इस समय ‘Gen Z आंदोलन’ की आग में धधक रहा है

नेपाल एक बार फिर गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को भारी जनआंदोलन और हिंसक प्रदर्शनों के दबाव में इस्तीफा दे दिया। सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ यह ‘Gen Z आंदोलन’ अब राजधानी काठमांडू समेत पूरे देश में उग्र हो चुका है। प्रदर्शनकारियों ने कई शीर्ष नेताओं के निजी आवासों पर हमला किया, संसद भवन को निशाना बनाया और बड़े पैमाने पर आगजनी की।

इस पृष्ठभूमि में यह सवाल और भी अहम हो जाता है कि श्रीलंका, बांग्लादेश और अब नेपाल—लगातार पड़ोसी देशों का बुरा हाल क्यों हो रहा है? क्या इसके पीछे बाहरी ताकतों की भूमिका है, या फिर यह केवल संयोग है?

तीन देशों में हो चुका है यह योजनाबद्ध ‘जन’-विद्रोह

श्रीलंका का मामला

वहाँ जनता का आक्रोश मुख्य रूप से आर्थिक संकट को लेकर था। महंगाई चरम पर थी और लोगों को खाने-पीने तक की भारी किल्लत झेलनी पड़ी। यह आक्रोश सड़कों पर दिखाई दिया और हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।

बांग्लादेश का मामला

वहाँ स्थिति अलग थी। जिस तरह से मोहम्मद यूनुस को अमेरिका से लाया गया और जिस तरह शेख हसीना सरकार के खिलाफ वातावरण बनाया गया, उससे यह संकेत मिलता है कि इसके पीछे बाहरी रणनीति हो सकती है। अमेरिका बांग्लादेश में अपना द्वीपीय बेस स्थापित करना चाहता था, लेकिन शेख हसीना ने इसकी अनुमति नहीं दी थी। माना जाता है कि इसी वजह से वहाँ असंतोष और आंदोलन को हवा दी गई।

नेपाल की स्थिति

नेपाल का मामला फिलहाल अलग प्रतीत होता है। यहाँ किसी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप का स्पष्ट आधार सामने नहीं आता। काठमांडू के मेयर बालेंद्र का नाम आंदोलन से जोड़ा जा रहा है। शुरुआत में शायद उनका कोई हाथ न रहा हो, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि उनके समर्थक ज़रूर चाहेंगे कि आंदोलन का लाभ उन्हें मिले। इतना तय है कि नेपाल की जनता बार-बार सत्ता में आने वाले वही तीन-चार नेताओं से अब ऊब चुकी है।

श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल—तीनों ही देशों में परिस्थितियाँ भिन्न जरूर हैं, लेकिन पैटर्न एक जैसा दिखाई देता है। साफ दिखाई दे रहा है कि डीप स्टेट का गंदा षडयन्त्र है जो श्रीलंका और बांग्लादेश चैप्टर्स के बाद नया चैप्टर लेकर आया है जो नेपाल का है।

(प्रस्तुति – त्रिपाठी पारिजात)

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments