One Minute Read: ऐसी है बंदिश बैंडिट्स अमेज़ॉन प्राइम पर, कभी देख के तो देखो..
आजकल फिल्में देखना नहीं हो पा रहा। दो वीकएंड शादियों की भेंट चढ़ गए। कब से बंदिश बैंडिट्स का दूसरा सीजन अधूरा पड़ा था। कल बिंज वॉचिंग कर खत्म किया पर वो पहले सीजन जैसी बात नहीं है। गाली गलौच पहले से बहुत कम है ये अच्छी बात है पर पर्सनली मुझे लगा कि सेकंड सीजन पहले सीजन से कुछ कमतर है।न तो म्यूजिक में वो पहले सीजन वाली deapth है और न ही इमोशनली उस लेवल पर लेकर जाता है जो पिछले सीजन में था।
सीजन वन में घराने को बचाने या संगीत सम्राट के खिताब को हासिल करने के लिये राधे और दिग्विजय के बीच का जो संघर्ष है उससे भावनात्मक जुड़ाव महसूस हुआ लेकिन सेकंड सीजन में वो जुड़ाव मिसिंग है। पहले सीजन का म्यूजिक इतना डिवाइन है कि अगर आप शास्त्रीय संगीत में थोड़ी भी रुचि रखते हैं तो उसे कई कई दिन सुनने से आप खुद को रोक नहीं पाते। जबकि दूसरे सीजन में म्यूजिक में वो उठान नहीं है। यहाँ तक कि फाइनल्स में जो भजन राठौड़ परिवार प्रस्तुत करता है वो भी दिल को उस तरह नहीं छूता जैसे पहले सीजन की बंदिशों ने छुआ।
तो भी मैं रिकमेंड करूँगी कि एक बार जरूर देखिये। वेब पर इतना सारा खराब कंटेंट है उससे ये बहुत बहुत बेहतर है।
(अंजू शर्मा)