Operation Fordow Over: दुनिया में आतंकी संगठनों को पैसे और हथियारों से मजबूत करने वाले आतंकी देश ईरान को अमेरिका ने सबक सिखा दिया है और उसके परमाणु ठिकानों को ठिकाने लगा दिया है..
यह स्पष्ट हो चला है कि अमेरिका ने दुनिया की रक्षा की दिशा में वह क़दम उठा लिया है, जिसे ईरान कभी भूल नहीं पाएगा। सवाल ये भी उठता है — क्या भारत कभी पाकिस्तान के खिलाफ ऐसा साहसिक निर्णय ले पाएगा?
20 वर्षों की मेहनत… एक झटके में खत्म
ईरान ने फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट को बनाने में दो दशक लगाए।
तेल बेचकर अरबों डॉलर जुटाए गए,
पहाड़ काटकर सैकड़ों फीट गहरे बंकर बनाए गए,
चीन से गुप्त रूप से यूरेनियम मंगाया,
हैवी वॉटर प्लांट, कूलिंग रॉड फैक्ट्री, और हीट एक्सचेंजर जैसी प्रणालियाँ स्थापित की गईं।
ईरान की यह परमाणु महत्वाकांक्षा अब मलबे में दबी पड़ी है।
ईरान की रणनीति: “राज्यविहीन परमाणु आतंक”
सालों से UN, IAEA, अमेरिका, यूरोपीय संघ और इज़राइल से बातचीत चल रही थी।
लेकिन कुछ लीक दस्तावेज़ों से यह भयावह सच्चाई सामने आई —
ईरान टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियार बनाकर उन्हें हमास, हिजबुल्लाह और हूथी जैसे आतंकी संगठनों को सौंपना चाहता था।
रणनीति ये थी
“परमाणु हमला इन आतंकी संगठनों से कराया जाए, ताकि जिम्मेदारी किसी देश पर न आए।”
यह कायरता और क्रूरता का चरम था।
ईरान की आतंकी गतिविधियों के सबूत
हूथियों को बैलिस्टिक मिसाइलें ईरान ने ही दीं।
7 अक्टूबर 2023 का हमला IRGC की साजिश थी।
हमास को मिस्र के रास्ते रॉकेट भेजे गए।
सुरंग बनाने की तकनीक भी ईरान ने मुहैया कराई।
यह लड़ाई ज़मीन की नहीं, विचारधारा की है
ईरान और इज़राइल के बीच न कोई सीमा विवाद है, न कोई ऐतिहासिक भू-वैमनस्य।
फिर भी ईरान सिर्फ धार्मिक घृणा के आधार पर इज़राइल को मिटाने की बात करता है।
ईरान के सर्वोच्च नेता खामनेई के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से अक्सर यहूदियों के खिलाफ ज़हर उगला जाता है।
“जियोनिस्ट” शब्द का बार-बार इस्तेमाल होता है।
दुनिया में कोई और नेता किसी धर्म विशेष के खिलाफ इतनी नफरत नहीं फैलाता।
दुनिया सबकी है — नफरत नहीं, सह-अस्तित्व चलेगा
यह धरती सभी की है — यहूदी हों, हिंदू हों या कोई और।
अगर कोई देश सिर्फ धार्मिक नफरत के चलते किसी अन्य समुदाय को मिटाना चाहता है,
तो उसका अंत निश्चित है।
यह 19वीं सदी नहीं है।
आज की दुनिया जवाब देना जानती है — और ईरान को उसका जवाब मिल चुका है।
आगे जो होगा, वह पूरी दुनिया की स्थिरता को तय करेगा।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी किसलय इन्द्रनील)