Parakh Saxena के इस आलेख में लगी ये तस्वीर आँखों को पर्याप्त सुकून देने वाली है, बहुत सारे कामो की खबर छपती नहीं है मगर ये बड़े काम होते है..
नॉर्थ ईस्ट को लेकर एक समिट हुई, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भाषण देते हुए कहते है कि भारत की विकास दर 7.5% है वही उत्तर पूर्व की विकास दर अब 12% पार कर चुकी है। असम तो 19% पर है।
फिर मोदीजी भाषण देने आये और सबसे जरूरी घोषणा की कि नॉर्थ ईस्ट को आशियान देशो से जोड़ेंगे। यदि ऐसा हो गया तो इसे आप पूर्वी भारत का सिल्क रूट कह लीजिये।
जैसे आज हरियाणा और गुजरात चमक रहे है वो चमक आपको असम सिक्किम मे भी देखने को मिलेगी। असम और सिक्किम दोनों की जीडीपी वृद्धि दर इस समय सबसे ज्यादा है।
जिन्हे लगता है भारत विकास नहीं कर रहा है, उन्हें इन आंकड़ों को देखना होगा। हमारी आबादी के हिसाब से हम शायद उतना अच्छा नहीं कर पा रहे होंगे, इसलिए प्रति व्यक्ति आय मे पिछड़ जाते है।
प्रति व्यक्ति आय को सुधारने के तरीके यही है कि महिलाओ को भी अवसर दे, घर मे बाँधकर ना रखे। युवा जो सरकारी नौकरी के पीछे 30-30 साल तक की आयु बर्बाद कर रहा है वो उसे स्व उद्यम मे लगाए।
नई शिक्षा नीति जल्दी लागू हो ताकि जो कमिया पहले थी वो दूर हो सके, अब भारत की विकास की परिभाषा विकासशील राज्यों को ही लिखनी होंगी क्योंकि विकास का सबसे ज्यादा गैप उन्ही के पास है।
पहले होता ये था कि विकास का सारा बोझ महाराष्ट्र पर डाल दिया जाता था, उत्तरप्रदेश और बिहार को जातिवाद मे उलझा दिया जाता था इस तरह लोकसभा की एक तिहाई सीटें तो नियंत्रित हो ही जाती थी। शेष 80-100 सीटों का इंतजाम अन्य राज्यों से हो जाता था।
ये पहली बार हो रहा है ज़ब भारत चारो कोनो से एक साथ टेक ऑफ़ कर रहा है। सरकार को निःसंदेह 100 प्रतिशत क्रेडिट जाता है, नॉर्थ ईस्ट मे लगभग सभी जगह बीजेपी+ सरकारे है ऐसे मे जो डबल इंजन वाली बात कही जाती है वो कारगर है।
ज़ब ज्योतिरादित्य सिंधिया को नॉर्थ ईस्ट मंत्रालय दिया गया तो थोड़ा अचंभा हुआ था, उनके पास दूरसंचार जैसा भारी भरकम मंत्रालय पहले से है उसके ऊपर नॉर्थ ईस्ट का चार्ज बिल्कुल अलग।
सिंधिया 14-15 तारीख को दूरसंचार के लिये विदेशी डेलिगेशन से मिल रहे थे, फिर 22 तारीख तक अपने प्रतिनिधि क्षेत्र गुना के दौरे पर थे और 23 को नॉर्थ ईस्ट की समिट मे शामिल हो गए। प्रधानमंत्री तो अपना काम कर ही रहे है लेकिन उनके मंत्री भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
अमृतकाल की इससे बेहतरीन तस्वीर कोई हो ही नहीं सकती।
(परख सक्सेना)