Tuesday, October 21, 2025
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Poetry: एक बेटी होती तो अच्छा रहता !

मम्मी
किस बात से दुखी होकर कहती है
एक बेटी होती तो अच्छा रहता!
सब कुछ है मम्मी के पास
हमारा घर कोई पिछड़ा हुआ घर भी नहीं
फ्रिज वाशिंग मशीन टीवी मिक्सर ग्राइंडर
ज़रूरत की हरेक चीज़ है
कुछ ज़्यादा ही है..
एक ईमानदार पति है
दो जान छिड़कने वाले बेटे
ठीक-ठाक रिश्तेदार
अच्छे घरों की सहेलियाँ
फिर भी मम्मी
किस बात से दुखी होकर कहती है
एक बेटी होती तो अच्छा रहता!
रसोई में गाना गुनगुनाती मम्मी
कितनी अकेली है..
कितनी अकेली है मम्मी
जब मेहंदी मांडती है अपनी हथेली पर
किसी पड़ोसन को बुलाती है
दूसरी हथेली के लिए..
कितनी अकेली है
आटा ओसणती हुई मम्मी
दाल बघारती हुई मम्मी
घर की साफ़-सफाई करती हुई मम्मी..
कितनी अकेली है व्रत की उपासी मम्मी –
सही ही तो कहती है
कि एक बेटी होती तो अच्छा रहता
जिससे वह अपनी भूख बाँट लेती!
(एडवोकेट मनमीत सोनी)
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