Sunday, December 14, 2025
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Poetry: तुम मिरे पास हो रात हैरान है.. चाँद किसने इधर का उधर रख दिया!

poetry: हम ने माना कि महका के घर रख दिया कितने फूलों का सर काट कर रख दिया ! ..

हम ने माना कि महका के घर रख दिया
कितने फूलों का सर काट कर रख दिया !
तुम मिरे पास हो रात हैरान है
चाँद किसने इधर का उधर रख दिया !
एक लम्हे को सूरज ठहर सा गया
हाथ उस ने मिरे हाथ पर रख दिया !
दे के कस्तूरी हिरनों की तक़दीर में
प्यास का एक लम्बा सफ़र रख दिया !
तुम ने ये क्या किया बत्तियों की जगह
इन चराग़ों में आँधी का डर रख दिया !
अपना चेहरा न पोंछा गया आप से
आईना बे-वजह तोड़ कर रख दिया !
आख़िरी फ़ैसला वक़्त के हाथ है
सच ने तलवार के आगे सर रख दिया !
देने वाले ये हस्सास नाज़ुक सा दिल
मेरे सीने में क्यूँ ख़ास कर रख दिया !
तुम ‘उदय’ चीज़ क्या हो कि इस प्यार ने
देवताओं का भी दिल तोड़ कर रख दिया !
(उदय प्रताप सिंह)
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