Sunday, December 7, 2025
Google search engine
HomeRSSGuru Golwalkar: एक क्षण में गलत धारणा दूर (श्री...

Guru Golwalkar: एक क्षण में गलत धारणा दूर (श्री गुरुजी का एक प्रेरक संस्मरण)

Guru Golwalkar: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी संघ के प्रथम स्वयंसेवक थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ हुए. वाजपेयी जी की कलम ने इस संस्मरण में गुरु गोलवलकर जी को याद किया..

Guru Golwalkar: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी संघ के प्रथम स्वयंसेवक थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ हुए. वाजपेयी जी की कलम ने इस संस्मरण में गुरु गोलवलकर जी को याद किया..

मुम्बई के एक प्रख्यात साहित्यकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्सव में अध्यक्ष होकर नागपुर पधारे। संघ एवं श्री गुरुजी के साथ यही उनका प्रथम परिचय था।

इन साहित्यकार सज्जन ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा – जब मुझे यह सूचना मिली कि संघ के उत्सव में अध्यक्षीय कार्यवाही के लिए श्री गुरुजी का निमंत्रण मिला है, तो मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। यह इसलिये कि मैं तो संघ के लिये अत्यन्त अपरिचित था।

कृपया इसे भी पढ़ें: Editorial on RSS: क्यों जॉइन करें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ?

श्री गुरुजी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे प्रबल हिन्दू संगठन के सेनापति हैं, यह बात मेरे मित्रों ने मजाक में कही और कहा – क्या उनके द्वारा एक पागल साहित्यकार को निमंत्रण? तुम इस पर विश्वास करते हो? तुम कैसे मूर्ख हो? नागपुर जाने की भूल कदापि न करना। श्री गोलवलकर से भेंट तो दूर रही, तुम उनका दर्शन भी न कर सकोगे। वे सात घेरों वाले किले में रहते हैं।

मित्रों ने मुझे बहुत सावधान किया, किन्तु मैंने नागपुर जाने का निर्णय कर लिया। नागपुर स्टेशन पर उतरते ही दाढ़ी और लम्बे बाल वाले व्यक्ति ने मेरा हार्दिक स्वागत करते हुए मुझे पुष्पमाला पहनायी। मैंने धीरे से एक व्यक्ति से पूछा, यह कौन है? उसने बताया कि ये ही श्री गुरुजी हैं। इतना सुनना था कि मेरा सारा अस्तित्व पानी-पानी हो गया।

मुझे मित्रों की बात याद आयी। परन्तु प्रत्यक्षतः श्री गुरुजी की मुक्त हँसी, उनकी आत्मीयता और सादगी देखकर मैं आश्चर्यचकित हो गया। हमारे जैसे लोग भी संघ के बारे में अज्ञानतावश गलत धारणा रखते हैं। और भी न जाने कितने रखते होंगे!

कृपया इसे भी पढ़ें: RSS: राष्ट्र भक्ति केे नशे का नाम है संघ – इस पर पाबंदी की बात करने वालों सुन लो !

राष्ट्र के साथ एकाकार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर से प्रतिबंध हटने के बाद श्री गुरुजी काशी आए थे। काशी नगरपालिका ने
उनका अभिनंदन करने का निश्चय किया। नगराध्यक्ष एक मुस्लिम सज्जन थे। नगरपालिका में मुस्लिम प्रतिनिधि भी चुनकर आए थे।

नगराध्यक्ष ने अपने स्वागत भाषण में कहा – हम पूज्य श्री गुरुजी का सम्मान कर रहे हैं, लेकिन हमारे मन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्बन्ध में अनेक संदेह हैं। कुछ भय भी है। वैसे भय उन्हें देखते ही खत्म हो गया। हम समझते थे कि भयंकर विकराल रूप वाला कोई व्यक्ति आएगा। मगर वे तो हँसते -मुस्कराते हुए आए। हम यह पूछना चाहते हैं कि श्री गुरुजी के भारत में मुसलमानों का क्या स्थान होगा?

श्री गुरुजी ने कहा – मुसलमानों का स्थान क्या होगा, यह तय करने वाला मैं कौन हूँ? मुसलमान ही तय करें कि वे क्या स्थान चाहते हैं। किसी की उपासना पद्धति से हमारा कोई मतभेद नहीं। कोई अगर ऐसा समझता है कि भगवान को अल्लाह के नाम से पुकारकर वह परम तत्त्व की प्राप्ति कर सकता है तो वह अल्लाह कहे। लेकिन उपासना पद्धति को छोड़कर बाकी सारी बातों के लिये उनको राष्ट्र के साथ अपने को एकाकार करना चाहिये।

कृपया इसे भी पढ़ें: RSS: कुछ लोगों को संघ से चिढ़ क्यों है? 

श्री गुरुजी ने फिर एक बात और कही। उन्होंने कहा – आपको शायद मेरी बात पसन्द नहीं आएगी। यहाँ अंग्रेज राज करते थे। हमने उनको उखाड़कर फेंक दिया। भारत में इस्लाम भी आया। कुछ प्रचार के मार्ग से आया, कुछ तलवार के जोर पर आया। कुछ लोगों ने इस्लाम स्वीकार किया कि उन्हें उपासना पद्धति पसन्द थी, मगर कुछ लोगों ने स्वीकार किया इसलिए कि स्वीकार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। हमने राजनैतिक गुलामी उखाड़कर फेंक दी है, अब कोई अगर धार्मिक गुलामी भी छोड़ना चाहता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।

और बाद में नगराध्यक्ष ने जब धन्यवाद दिया तो कहा – श्री गुरुजी ने जो विचार व्यक्त किये, उससे हमारा कोई मतभेद नहीं है। फिर भी न जाने क्यों श्री गुरुजी को लोग मुस्लिम विरोधी कहते हैं। हम जानते हैं कि उनके मन में किसी वर्ग के प्रति विद्वेष नहीं है।

– अटल बिहारी वाजपेयी

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments