Sambhal: कई जगह पढ़ा है कि अलग अलग युगों में संभल के अलग अलग नाम थे। कभी सत्यव्रत, कभी महादगिरि, कभी पिंगल के नाम से संभल की धरती जानी गई लेकिन वर्तमान समय में इसे संभल क्यों कहा जाता है जब यह प्रश्न मन में आlता है तो इसका उत्तर महादेव के चिंतन में मिलता है।
पौराणिक आख्यान कहते हैं कि इसी स्थान पर विष्णु जी का दसवां अवतार होगा। यही बात बौद्ध ग्रन्थ दोहराते हैं कि इसी जगह मैत्रेय बोधिसत्व ब्राह्मण के यहां जन्म लेंगे। भारतीय सनातन परंपरा के सभी मत इस जगह की पवित्रता और अलौकिकता में विश्वास करते हैं।
अग्नि पुराण और भागवत पुराण कहते हैं कि संभल के एक ब्राह्मण परिवार में प्रभु अवतरित होंगे।उनके पिता का नाम विष्णुयश और माता का नाम सुमति होगा। रामजी की तरह भगवान कल्कि के भी चार भाई होंगे और सभी मिलकर धर्म की स्थापना करेंगे। भगवान कल्कि का दो विवाह होंगे, उनकी पत्नियों का नाम लक्ष्मी रूपी पद्मा और वैष्णवी रूपी रमा होगा।
भगवान कल्कि अपने गुरु भगवान परशुराम के निर्देश पर भगवान शिवजी की तपस्या करेंगे और दिव्यशक्तियों को प्राप्त करेंगे। दिव्यशक्तियों को प्राप्त करने के बाद भगवान कल्कि देवदत्त घोड़े पर सवार होकर पापियों का संहार करेंगे और पुन: धर्म की स्थापना करेंगे।

भगवान शिव ने हमेशा भगवान विष्णु की सहायता की है। कच्छप अवतार से लेकर भगवान राम और कृष्ण तक के वह सहायक रहे हैं। रामेश्वरम की स्थापना के दौरान भगवान राम ने कहा –
सिव द्रोही मम दास कहावा। सो नर सपनेहू मोहि न पावा।।
कल्कि अवतार हेतु विष्णु जी को शिव जी की नगरी चाहिए और वह नगरी है, शंभु स्थल यानि संभल!! संभल शंभु की नगरी है , इसके तीन कोनों पर शिव मंदिर है। इसके बीच में 19 कूप, 36 पूर्वी बस्ती, 52 सराय और 68 तीर्थ हैं कुल 87 देवतीर्थ है। भगवान ने अपने लिए यही शंभु की नगरी का चयन किया है।
शंभु स्थल का पुनर्निमाण हो रहा है, अयोध्या काशी के बाद महादेव का कनफटा गण आदित्यनाथ संभल का कायाकल्प करा रहा है, इसके बाद मथुरा, जौनपुर फिर और भी स्थल जिन्हें म्लेच्छों ने अपवित्र किया था उसका भी क्रम आयेगा !
(मनोज कुमार सिंह)