Sanskrit Learning Online: गोस्वामी तुलसीदास जी की स्मृति में बीसवां अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर का उद्घाटन समारोह भव्यरुप से सम्पन्न..
पटना, ३१ जुलाई २०२५. विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना तथा संस्कृत संरक्षण समिति के संयुक्त तत्वावधान में “आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान” के अंतर्गत गोस्वामी तुलसीदास स्मृति मे एवं तुलसीदास जयंती समारोह के अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय (ऑनलाइन) दशदिवसात्मक संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर का भव्य उद्घाटन समारोह सावन मास की शुभ वेला में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. मुकेश कुमार ओझा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान एवं महासचिव, विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना) ने कहा—गोस्वामी तुलसीदास जी के ‘रामचरितमानस’ में संस्कृत व्याकरण, अलंकार और दर्शन की छाया स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। रामचरितमानस के महत्त्व बताते हुए कहा “सिया राम मय सब जग जानी, करहुं प्रणाम जोरि जुग पानी” यह भाव के कारण रामचरितमानस को राष्टीय ग्रंथ घोषित करने केलिए सरकार से अपील की।
उद्घाटनकर्ता उग्रनारायण झा ने वैदिकमंगलाचरण से प्रारम्भ करते हुए उद्घाटन भाषण में कहा—
“तुलसीदास संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे। उन्होंने संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन कर जनभाषा में रामकथा को प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि प्रो रागिनी वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा— “तुलसीदास का संस्कृत से ऐसा आत्मिक संबंध था कि उन्होंने लोक में प्रसार हेतु संस्कृत तत्वज्ञान को अवधी भाषा में व्यक्त किया। आज की आवश्यकता है कि हम उनके अनुकरण में संस्कृत को व्यवहार की भाषा बनाएं।”
विशिष्ट अतिथि डॉ. राजेश कुमार मिश्रा ने कहा—“तुलसीदास जी के संस्कृत से जुड़ाव को हम उनके प्रत्येक पद में अनुभव कर सकते हैं। मुख्य वक्ता डॉ लीना चौहान ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास न केवल भारतीय आध्यात्मिक वांग्मय के एक ऐतिहासिक स्तम्भ हैं अपितु वे भारतीय संस्कृति के प्रभावशाली संरक्षक भी हैं।
इस शुभ अवसर पर सुजाता घोष, मनीषा बोदरा, राहुल पांडेय, अदिति चोला, आदि ने संस्कृत में स्वक्तव्य को प्रस्तुत करते हुए शिविर में निरंतर आने केलिए प्रेरित किया । धन्यवाद ज्ञापन शिविर के राष्ट्रीय सचिव सुजाता घोष ने किया। अन्त में कल्याण मन्त्र राजेश कुमार मिश्र ने किया।
इस शिविर का मुख्य उद्देश्य संस्कृत के व्याकरण को सहज, सरस और सजीव बनाना है। यह दशदिवसीय शिविर संस्कृत व्याकरण को अधिक से अधिक सरल बनाकर लोगों के सामने प्रस्तुत करने के प्रयोजन के साथ निरंतर गतिमान है.