Speak Sanskrit: सर्वत्र संस्कृतम् का संदेश देता हुआ आधुनिको भव संस्कृतम् वद की प्रेरणा देने वाला संस्कृत संभाषण शिक्षा शिविर अविराम गतिमान है..अब श्रीगणेश हुआ है अभियान के 36वें शिविर का..
पटना 14 सितंबर। सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज की ओर से आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अन्तर्गत संस्कृत दिवस एवं स्थापना दिवस के शुभावसर पर महर्षि मार्कण्डेय स्मृति अन्तर्जालीय अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक संस्कृत सम्भाषण शिविर का शुभारंभ संस्कृतमय वातावरण में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव एवम् आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की भाषा उसी समय होगी जब विश्व के लोग संस्कृत बोलने लगेंगे।मौरीशस के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री अरमुगम परशुरामन जी भी चाहते हैं कि यह अभियान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर भौतिक रूप से भी बोलना सीखाए।
अपने उद्घाटन उद्बोधन में अभियान के प्रधान संरक्षक एवं पूर्व गृहसचिव उत्तर प्रदेश शासन ने कहा कि पुरुषार्थ के सम्यक् ज्ञान के लिए संस्कृत का ज्ञान अत्यावश्यक है। भारत के सभी लोगों को मार्कण्डेय पुराण का विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहिए।
पूर्व संयुक्त निदेशक पेंशन, उत्तर प्रदेश शासन श्री धर्मेन्द्रपति त्रिपाठी ने कहा कि मार्कण्डेय ऋषि मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले ऋषि हैं।
अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका प्रोफेसर रागिनी वर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उग्र नारायण झा, राष्ट्रीय उपाध्यक्षा डॉ लीना चौहान,असम प्रांत की सहसंयोजिका सुजाता घोष , विशिष्ट अतिथि डॉ मधु कुमारी, राजस्थान प्रांत की सह संयोजिका श्रीमती कल्पना शर्मा, बिहार प्रांत के प्रचार सचिव श्री मुरलीधर शुक्ल आदि वक्ताओं ने महर्षि मार्कण्डेय को मानव कल्याण का प्रणेता बताया।
गणमान्य वक्ताओं ने महामृत्युंजय जाप की महत्ता पर विस्तार से जानकारी दी। वैदिक मंगलाचरण का दायित्व श्री उग्र नारायण झा ने वहन किया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ लीना चौहान के शब्दसुमनों के माध्यम से संपन्न हुआ वहीं ऐक्य मन्त्र सुश्री सुजाता घोष ने प्रस्तुत किया। मंच का संचालन संस्कृत में डा लीना चौहान ने किया।