Tuesday, October 21, 2025
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Story: ज़रूरत सबको पड़ती है!

Story: उसने जल्दी से घड़ी देखी—उसे देर हो रही थी। फिर भी, न जाने क्या सोचकर, उसने अपनी डेस्क से लाया हुआ सैंडविच उस आदमी के पास रख दिया और बिना कुछ कहे आगे बढ़ गई..

 

न्यूयॉर्क—एक शहर जो कभी नहीं सोता। ऊँची-ऊँची इमारतें, भागते-दौड़ते लोग, और चमचमाती सड़कों के बीच मेनहट्टन में एक युवा औरत तेज़ी से अपने ऑफिस की ओर बढ़ रही थी। उसका नाम था एलिसन पार्कर, एक कॉर्पोरेट लॉ फर्म में सीनियर असोसिएट। हर दिन की तरह, वह अपनी काली हील्स की टिक-टिक और हाथ में स्टारबक्स का कप लिए सड़क पार कर रही थी, जब उसकी नज़र फुटपाथ पर बैठे एक शख्स पर पड़ी।

वह एक काला आदमी था, जिसकी उम्र कोई 35-40 साल रही होगी। उसके कपड़े पुराने और फटे हुए थे, मगर उसकी आँखों में एक अजीब सी गहराई थी। उसके सामने एक छोटा सा कार्डबोर्ड रखा था, जिस पर लिखा था—”Everybody needs help sometimes.” (ज़रूरत सबको पड़ती है।)

एलिसन की नज़र उस वाक्य पर अटक गई।

उसने जल्दी से घड़ी देखी—उसे देर हो रही थी। फिर भी, न जाने क्या सोचकर, उसने अपनी डेस्क से लाया हुआ सैंडविच उस आदमी के पास रख दिया और बिना कुछ कहे आगे बढ़ गई।

उसे नहीं पता था कि यह छोटी सी मुलाकात उसकी ज़िंदगी बदल देगी।

अजनबी से दोस्ती

अगले कुछ दिनों तक, एलिसन हर सुबह उसी कोने से गुज़रती और उसके लिए कॉफ़ी और ब्रेकफास्ट छोड़ जाती। पहले तो वह आदमी सिर्फ़ सिर झुका कर शुक्रिया कहता, मगर फिर एक दिन उसने हिम्मत जुटाकर कहा—

“मेरा नाम जेम्स है। तुम्हारा?”

एलिसन ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया—”एलिसन।”

धीरे-धीरे उनकी छोटी-छोटी बातें बढ़ने लगीं। जेम्स को किताबें पढ़ने का शौक़ था, खासकर पुराने क्लासिक्स। वह पहले एक म्यूज़िशियन था, मगर हालात ने उसे सड़क पर ला दिया था। एलिसन पहली बार महसूस कर रही थी कि हर भिखारी अपनी मर्ज़ी से नहीं बैठा होता—हर किसी की एक कहानी होती है।

जेम्स की जिंदगानी 

एक दिन जब बारिश हो रही थी, एलिसन ने छाते के नीचे जेम्स को बैठने के लिए इशारा किया। दोनों एक छोटे कैफ़े में आ गए। गर्म कॉफी के बीच, जेम्स ने अपनी ज़िंदगी के पन्ने खोले—

“मैं पहले एक जैज़ म्यूज़िशियन था। न्यूयॉर्क में अपना सपना पूरा करने आया था। मगर फिर… एक एक्सीडेंट हुआ। हाथों की नसें डैमेज हो गईं और मैं कभी गिटार नहीं बजा पाया।”

एलिसन ने गहरी साँस ली। “फिर क्या हुआ?”

“सब कुछ बर्बाद हो गया। मैंने नौकरी ढूँढने की कोशिश की, मगर बिना किसी डिग्री के कोई काम नहीं मिला। फिर धीरे-धीरे मैंने अपना अपार्टमेंट खो दिया, दोस्त चले गए, और मैं इस सड़क पर आ गया।”

एलिसन चुप रही। उसे एहसास हुआ कि किसी की ज़िंदगी कितनी जल्दी बदल सकती है।
नया मोड़

वह दिन एलिसन के लिए एक टर्निंग पॉइंट था। उसने जेम्स के लिए कुछ करने की ठानी।

वह अपने ऑफिस गई और अपनी कंपनी के HR से बात की। कुछ दिनों बाद, वह जेम्स के पास गई और एक लिफाफा उसकी ओर बढ़ाया।

“यह क्या है?”

“एक इंटरव्यू लेटर।”

“मगर मेरे पास कोई प्रोफेशनल कपड़े नहीं हैं…”

“अब हैं,” उसने हँसते हुए एक बैग आगे बढ़ाया। उसमें एक सूट, जूते और कुछ ज़रूरी सामान था।

जेम्स के हाथ काँप गए। “एलिसन… मैं नहीं जानता कि क्या कहूँ।”

“कुछ मत कहो,” उसने मुस्कराते हुए कहा। “बस यह याद रखो—ज़रूरत सबको पड़ती है।”
एक नई शुरुआत

जेम्स को लाइब्रेरी असिस्टेंट की नौकरी मिल गई। उसने फिर से किताबें पढ़नी शुरू कीं, खुद को बेहतर बनाने में जुट गया।

एक शाम, जब एलिसन अपने ऑफिस से निकली, तो किसी ने उसका हाथ पकड़ा। उसने मुड़कर देखा—वह जेम्स था, अब पूरी तरह बदला हुआ।

“चलो, आज कॉफी मेरी तरफ से,” उसने मुस्कराते हुए कहा।

एलिसन ने हँसकर सिर हिलाया।

मोहब्बत का एहसास

समय बीतता गया और उनकी दोस्ती किसी और एहसास में बदलने लगी। जेम्स की आँखों में अब भी वही गहराई थी, मगर अब उसमें सपने भी थे।

एक रात, जब दोनों ब्रुकलिन ब्रिज पर खड़े थे, जेम्स ने कहा—

“जब तुम पहली बार मेरे पास रुकी थी, मैं यकीन नहीं कर पाया था कि कोई इतना दयालु हो सकता है। पर अब… मैं जानता हूँ कि तुम सिर्फ़ दयालु नहीं हो, तुम मेरी ज़िंदगी की सबसे खूबसूरत चीज़ हो।”

एलिसन ने धीरे से उसका हाथ थामा।

“ज़रूरत सबको पड़ती है, जेम्स। उस दिन मैं तुम्हारी मदद करने आई थी, मगर सच कहूँ तो… तुमने मुझे बचा लिया।”

जेम्स ने हल्के से मुस्कराते हुए उसके बालों को छुआ। “किस तरह?”

“मैं एकदम खो चुकी थी, बिना किसी मकसद के भाग रही थी। मगर तुमने मुझे रुकना सिखाया, ज़िंदगी को महसूस करना सिखाया।”

और उस रात, न्यूयॉर्क की चमकती रोशनी के नीचे, दो अजनबियों के बीच पनपी दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया।

अंत… और एक नई शुरुआत

अब जेम्स एक लेखक बन चुका था, जिसने अपने संघर्षों पर किताब लिखी थी—”Everybody Needs Help Sometimes.”

और एलिसन?

वह अब भी उसी ऑफिस में थी, मगर अब वह अपने काम के साथ ज़िंदगी जीना भी सीख चुकी थी।

क्योंकि सच तो यही है… ज़रूरत सबको पड़ती है।

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