Thursday, August 7, 2025
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Tilbhandeshwar Mahadev Temple: चमत्कारी शिवलिंग वाला प्राचीन तीर्थस्थल है तिलभांडेश्वर मंदिर – अहिल्याबाई होलकर ने कराया था जीर्णोद्धार

Tilbhandeshwar Mahadev Temple: तिलभांडेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का मिलाजुला प्रतीक है..

Tilbhandeshwar Mahadev Temple: तिलभांडेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का मिलाजुला प्रतीक है..

मध्य प्रदेश के तराना (उज्जैन से 30 किलोमीटर दूर) स्थित तिलभांडेश्वर मंदिर शिवभक्तों का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने चमत्कारी शिवलिंग और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।

हर साल तिल जितना बढ़ता है शिवलिंग

इस मंदिर का शिवलिंग अद्भुत और चमत्कारी माना जाता है। कहा जाता है कि यह शिवलिंग हर साल एक तिल के बराबर बढ़ता है। पहले यह छोटा था, लेकिन धीरे-धीरे यह बड़ा होता गया। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि शिवलिंग की जलधारी में हमेशा जल रहता है, जबकि वहां कोई स्पष्ट जल स्रोत नहीं है। यह जल खुद-ब-खुद शिवलिंग पर गिरता रहता है, जो भक्तों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं।

मंदिर का इतिहास और वास्तुशिल्प

यह मंदिर करीब 700 साल पुराना बताया जाता है, और कुछ लोगों का मानना है कि यह इससे भी ज्यादा पुराना हो सकता है। मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली में बनी है जो इसे खास बनाती है। सावन के सोमवार को मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और दर्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है।

अहिल्याबाई होलकर का योगदान

इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर, जो शिवभक्ति के लिए प्रसिद्ध थीं, उन्होंने इस मंदिर का सन् 1727 में जीर्णोद्धार कराया था। उन्होंने मंदिर परिसर में एक बड़ा कुंड भी बनवाया और मंदिर की सेवा के लिए 16 हेक्टेयर से अधिक भूमि जूना अखाड़े के तत्कालीन महंत को भेंट की थी। यह जानकारी मंदिर के मुख्य द्वार पर लगे शिलालेख से मिलती है। मंदिर देखने में ऊपर से छोटा लगता है लेकिन अंदर काफी गहरा है, और शिवलिंग के दर्शन के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरना होता है, जिससे लगता है जैसे बाबा भोलेनाथ की गुफा में पहुंच गए हों।

जूना अखाड़ा और सावन की विशेष पूजा

यह मंदिर प्राचीन काल से ही श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के अधीन रहा है। वर्तमान में मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत मोहन भारती हैं और उनके साथ राष्ट्रीय सचिव महंत ओम भारती धार्मिक कार्यों का संचालन करते हैं। सावन के पवित्र महीने में विशेष पूजा अर्चना की जाती है ताकि देश में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे और शिवभक्तों की मनोकामनाएं पूरी हों।

सीएम मोहन यादव ने की थी पूजा, मंदिर विकास पर चर्चा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी हाल ही में मंदिर आए थे और उन्होंने शिवलिंग का जलाभिषेक कर पूजा की। उन्होंने जूना अखाड़े के महंतों के साथ बैठक कर मंदिर के विकास और सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा था कि इस प्राचीन धरोहर को और भव्य रूप दिया जाएगा। सीएम ने यह भी कहा कि सनातन धर्म संतों और ऋषियों के मार्गदर्शन से ही जीवंत रहा है।

सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में हो रहा सुधार कार्य

मंदिर के पास बने अहिल्याबाई द्वारा निर्मित कुंड में बरसात के मौसम में पानी भर जाने से हादसे हो चुके हैं। इसे ध्यान में रखते हुए जूना अखाड़ा द्वारा कुंड के चारों ओर सुरक्षा के लिए जाल लगाया जा रहा है ताकि दर्शनार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कई क्षतिग्रस्त भवनों के जीर्णोद्धार का कार्य भी शुरू कराया है।

कुल मिला कर कहा जा सकता है

तिलभांडेश्वर मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का मिलाजुला प्रतीक है। सावन के महीने में यहां की रौनक, शिवभक्तों की आस्था और मंदिर का अद्भुत शिवलिंग इसे विशेष बनाते हैं। अहिल्याबाई होलकर का योगदान और वर्तमान में हो रहे विकास कार्य इस मंदिर की महत्ता को और भी बढ़ा रहे हैं।

(प्रस्तुति -त्रिपाठी सुमन पारिजात)

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