Trump on Bangladesh: ट्रम्प चाचा ने बोल दिया है कि बांग्लादेश को भारत पर छोड़ रहा हुँ। इससे इतना तो सिद्ध हुआ कि डेमोक्रेटिक पार्टी भारत के लिये जो मुसीबत खड़ी कर रही थी रिपब्लिकन पार्टी का स्टैंड वैसा नहीं है।
अब यक्ष प्रश्न भारत के लिये है कि बांग्लादेश का क्या करें? बांग्लादेश ने जो सैन्य संबंधी कदम उठाये है उससे स्पष्ट है कि इनका इरादा भारत को परेशान करने का है। बांग्लादेश मे हिन्दुओ पर अत्याचार हुए है लेकिन ऑन पेपर ये कारण युद्ध के लिये पर्याप्त नहीं है।
सबसे ज्यादा गौर करने की बात ये है कि यदि भारत ने बांग्लादेश पर आक्रमण किया तो हम एक नंगे को पीट रहे होंगे जिसके पास खोने को कुछ नहीं है मगर यदि उसने हमारे कोट मे एक छेद भी कर दिया तो हमारा नुकसान हो जाएगा।
दूसरी बात बांग्लादेश को जीतकर क्या करना है? एक कठपुतली सरकार ही बना सकते है जिसके खिलाफ कभी भी बगावत होंगी। अमेरिका ये काम इराक मे कर चुका है और उसके बाद जो हुआ सबको पता है।
इसलिए ज़ब तक फिनिशिंग लाइन न दिखे रेस शुरू करने का मतलब नहीं है।
एक विकल्प है कि युद्ध करके बांग्लादेश को अपने हाल पर छोड़ो, उनके हथियारों को डिसमेंटल करके चिकन्स नेक बड़ा करो। ये प्रैक्टिकल है लेकिन इसकी पहली मांग है कि बांग्लादेश की धरती कब्ज़ानी होंगी और हम संयुक्त राष्ट्र के जिम्मेदार सदस्य है जो वैश्विक सीमाओ का सम्मान करते है।
कुछ जमीन पाने के लिये हम उस विदेश नीति से समझौता नहीं कर सकते जो अब जाकर बैलेंस हुई है। लेकिन यदि बांग्लादेश के कुछ इलाके स्वयं विद्रोह कर दे तो बात बन सकती है।
असल मे फेसबुक पर जितने भी विचारक है हम मे से किसी के पास इस समस्या का पूर्ण समाधान नहीं है। इसका समाधान तीन प्रकार के लोग बता सकते है, पहले 80-85 वर्ष के हमारे पूर्व सैनिक अफसर जो बांग्लादेश को बाहर के साथ साथ अंदर से भी जानते है।
दूसरे हमारे एजेंट्स या अज्ञात तत्व जो आज भी ऑपरेट कर रहे है और सारे राज जानते है। तीसरे विदेश मंत्रालय मे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके अधिकारी जिन्हे सारी गोपनीयता पता है। मोदी सरकार के हाथ मे सिर्फ हरी झंडी दिखाना है।
तीनो वर्गो को साथ मे बैठना होगा। विभीषण हर देश मे होते है, बांग्लादेश मे भी निश्चित होंगे उन्हें जेलों से आजाद करवा के या फिर किसी तरह भारतीय सीमा मे लाकर कुछ जानकारी लेनी होंगी।
युद्ध करेंगे तो निर्दोष लोग भी मरेंगे उनका उत्तर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी देना होगा। यदि हमारा राफेल सिर्फ दिल्ली से ढाका की उड़ान ही भरे तो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष खर्चे मिलाकर भी मिलियन डॉलर खर्च होना है। युद्ध लड़ने का खर्चा तो अलग ही है।
ज़ब बांग्लादेश जलेगा तो भारत के भी कुछ इलाको मे इस्लाम की आंधी उठेगी उन्हें दबाने के लिये एक अलग पुलिस बल चाहिए। यदि भारत एक लाख सैनिक भेजेगा तो 1000 तो वीरगति भी पाएंगे। उसके बाद चूड़ी तोड़ कार्यक्रम करके हमारे लोग सेना का मनोबल गिराएंगे वो भी काउंटर करना होगा।
बीच बीच मे अफवाहे फैलेगी कि सेना का जहाज यहाँ वहाँ फस गया, किसी सैनिक के साथ बर्बरता हो गयी तो सरकार को दो मोर्चे संभालने होंगे एक बॉर्डर पर दूसरा संसद और जनता के बीच।
ये साधारण चुनौतिया है क्योंकि भारतीयों का स्वभाव अमेरिकियो की तरह जुझारु नहीं है। हमारा सैनिक शहीद होता है तो मेटा पर लाइक कमेंट का ट्रेंड चलने लगता है। हमारा सिविक सेन्स इजरायलियो की तरह नहीं है कि हम समझें कि युद्ध के समय सोशल मीडिया पर क्या डालना है क्या नहीं।
इसलिए हमारे लिये युद्ध हमेशा मुश्किल विकल्प है, हमें दो जगह लड़ना पड़ता है। ऊपर से सरकार भी गठबंधन की है यदि ज्यादा कम हो गया तो सारी मेहनत खड्ढे मे चली जायेगी।
ट्रम्प ने जो मर्जी बोला हो, सरकार ढेर सारे पहलुओं पर विचार करके ही निर्णय लेगी। हो सकता है युद्ध के बिना ही एक जंग जीती जा सकती हो, इसलिए सारे हिंदूवादी और दक्षिणपंथियो को चाहिए कि सरकार, सेना, एजेंसी और भारतीय डीप स्टेट पर भरोसा रखे।
पिछले 11 वर्षो मे कभी देश का सौदा नहीं हुआ है यक़ीनन आज भी नहीं होगा लेकिन जल्दबाजी दुनिया भर के शर्मसार समझौते करवाएगी।
(परख सक्सेना)