Virat Kohli: क्रिकेट के क्षेत्र में आकाशीय सफलता अपने नाम करने वाले प्रेरणा के पुंज का नाम है विराट कोहली..
विराट कोहली – ये एक ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं। दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों में शायद ही कोई होगा जो इस नाम से अनजान हो। करोड़ों प्रशंसकों की भाँति मैं भी विराट कोहली का फैन हूँ, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था।
आमतौर पर जब क्रिकेट विशेषज्ञ और अन्य लोग उनकी क्लास की चर्चा करते थे, तो मुझे ये बात समझ नहीं आती थी आखिर उनमे ऐसा क्या खास है। वह एक अच्छे खिलाड़ी थे, ये मैं मानता था किन्तु मुझे उनकी आक्रामकता थोड़ा पसंद नहीं थी। उस समय मुझे लगता था कि वो तो ओवररेटेड हैं।
परन्तु फिर कुछ हुआ और विराट की एक पारी ने मेरी सोच बदल दी। यह एक विशेष मैच था भारत बनाम श्रीलंका के बीच का, जो ऑस्ट्रेलिया में ट्राई-सीरीज के दौरान खेला गया था। श्रीलंका ने 50 ओवर में 4 विकेट पर 320 रन बनाए थे, जो एक बड़ा मुश्किल सा पड़ाव था जिसे पार करना किसी बड़ी चुनती से कम नहीं था.
स्थिति और जटिल तब हो गई जब पता चला कि भारत को फाइनल में पहुंचने के लिए यह लक्ष्य 40 ओवर में हासिल करना था। यह लक्ष्य तो अपने आप में अत्यंत दुष्कर था, विशेष रूप से तब जब श्रीलंका की गेंदबाजी लाइनअप में लसिथ मलिंगा और नुवान कुलशेखरा जैसे घातक गेंदबाज थे।
किन्तु इस अवसर पर विराट ने इस मैच में अपनी असली प्रतिभा से पूरी दुनिया को परिचित कराया। उन्होंने मात्र 86 गेंदों में 133 रनों की एक ऐसी मैच विजेता पारी खेली कि वो मेरे लिए अविस्मरणीय हो गई. भारत ने 36.4 ओवर में ही लक्ष्य हासिल कर लिया। इस समय मुझे अनुभव हुआ कि विराट में वास्तव में कुछ विशेष है।
सच कहूं तो अभी भी मैं उन्हें उतना हाई-रेट नहीं करता था। परन्तु ठीक माह के उपरान्त उन्होंने फिर से उनको लेकर मेरी दृष्टि को मिथ्या सिद्ध कर दिया. यह अवसर था एशिया कप का और सामने थी पाकिस्तान की सशक्त टीम।
फिर एक बार विकट परिस्थिति से दो चार होना था यहां भी भारत को। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान ने छह विकेट खोकर 329 रन बनाए. इसके पश्चात भारत की बल्लेबाजी के लिए उनकी घातक गेंदबाजी को देखते हुए यह लक्ष्य अत्यंत दुष्कर सा प्रतीत हो रहा था। स्थिति तब और भी चुनौतीपूर्ण हो गई जब गौतम गंभीर बिना खाता खोले शून्य बना कर आउट हो गए। अब 330 का लक्ष्य और भी विराट दिखने लगा।
तत्पश्चात बैटिंग करने विराट कोहली मैदान पर आए। श्रीलंका के विरुद्ध उनकी पारी ने आशा जगा दी थी, किन्तु मेरे जैसे कुछ लोगों के मन में संदेह अब भी था। परन्तु उस दिन मैंने विराट की जो पारी देखी, वह आज भी मेरे मन-मस्तिष्क पर अंकित है।
मैंने देखा जिस तरह विराट का बल्ला बोला। उन्होंने पाकिस्तान के धारदार गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं और पूरे मैदान में ऐसे जानदार शॉट लगाए कि मैदान कोहली कोहली की आवाज़ से गूंजने लगा। जब कोहली आउट हो कर पैवेलियन के लिए चले तब तक यह सुनिश्चित हो चुका था कि भारत यह मुकाबला जीत जाएगा। कोहली ने उस दिन 183 रनों की विराट पारी खेली थी जहां चौके लगाए थे 22 और छक्के भी लगाया था एक।
इस ऐतिहासिक बल्लेबाजी का साक्षी बनने के उपरान्त मेरी सोच पूरी तरह बदल गई। अब मैं विराट को विश्व के किसी भी बल्लेबाज से अधिक रेट करता हूँ और उनका प्रशंसक भी बन चुका हूँ।
धन्यवाद, विराट, भारत को इतने गर्व के पल देने के लिए!