पाताल लोक (2025)-Web Series On Amazon Prime
कई अनुशंसाओं के बावजूद कोरोना काल में आई पाताल लोक सीरीज का पहला सीजन मैंने नहीं देखा। कई वेब सीरीज नहीं देखीं क्योंकि हिंसा का अतिरेक और फ़ाउल लैंग्वेज झेलने की हिम्मत नहीं होती।
लेकिन कुछ सीन्स देखकर जयदीप अहलावत के लिये सीजन 2 देखना शुरू किया तो बस रुका नहीं गया।लगभग 6 एपीसोडस की बिंज वॉचिंग की और आज इसे पूरा किया।
होटल में एक राजनेता की सिरकटी लाश मिलती है और हत्या की इस जटिल गुत्थी से शुरुआत होती है। इधर थाना जमुनापार के इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) के सामने एक गुमशुदा व्यक्ति को ढूंढ रही उसकी पत्नी है जिसका खुद का मर्डर हो जाता है और पीछे छूट जाता है उसका छोटा बच्चा।
हाथीराम के जूनियर से तरक्की पाकर एसीपी बन गए इमरान अंसारी (ईश्वाक सिंह) को तलाश है उस नेता के हाई प्रोफाइल मर्डर में एक नागालैंड की लड़की की। जब दोनों घटनाओं के तार मिलते प्रतीत होते हैं तो दोनों इस मर्डर मिस्ट्री को सॉल्व करने नागालैंड पहुँच जाते हैं।
उसके बाद एक के बाद एक लोमहर्षक घटनाएँ घटती चली जाती हैं। कैसे कैसे खुलासे होते हैं कि आप एक मिनट हिल नहीं सकते। एक के बाद एक मर्डर होते चले जाते हैं और स्थानीय राजनीति और बिजनेस के गुप्त सम्बन्धों के बीच फंसा रहस्य प्याज़ की ढेरों परतों में छुपा है लेकिन हाथीराम अपनी बुद्धिमानी और साहस से उसे अनावृत करते चले जाते हैं।
कमतर समझे जाने और उत्कृष्ट होने के बावजूद पीछे छूट जाने वाले एक पुलिसकर्मी की पीड़ा उनके चेहरे पर बार बार झलकती है। अपनी पत्नी रेणु (गुल पनाग) की नाराज़गी भी उन्हें अपने फ़र्ज़ से डिगाती नहीं पर जब नौकरी की औपचारिकताएँ बाधा बनती हैं तो वे उन्हें पार करने के लिये किसी भी हद के पार जाने से भी नहीं चूकते।
अतिशयोक्ति न होगी अगर कहा जाए कि जयदीप अहलावत की स्क्रीन प्रेजेंस बेजोड़ है। वे हर फ्रेम पर छाए हैं और विशेष बात ये है कि उन्हें देखकर लगता नहीं कि आप जयदीप अहलावत को देख रहे हैं.
आपके सामने सीन दर सीन केवल पुलिस सिस्टम की जटिलताओं के शिकार, रहस्य की खोज में निकले हाथीराम चौधरी हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज, कद काठी फ़िल्म के एक्शन सींस को सहज रूप से प्रभावी बनाती है। इसके साथ ही कैमरे से खेलने में उनका अनकन्वेंशनल खुरदरा चेहरा उनकी बखूबी मदद करता है।
उनके साथियों के रूप में ईश्वाक सिंह और नागा पुलिस की अधिकारी के रूप में तिलोत्तमा शोम और पत्नी के रूप में गुल पनाग का अभिनय भी बेजोड़ है। सीरीज में पूर्वोत्तर के कई अभिनेताओं ने बढ़िया काम किया है और उनमें निर्देशक नागेश कुकूनूर और जानू बरुआ को अहम भूमिकाओं में देखकर सुखद अनुभूति हुई।
बावजूद इसके कि जबरदस्त हिंसा है, फ़ाउल लैंग्वेज है लेकिन कहानी इतनी रोमांचक और रहस्यमयी है कि आप स्वतः ही इनके लिये सहनशीलता अर्जित कर लेते हैं।
एक और भी हर्डल है और वो ये है कि पूरी सीरीज में हिंदी, अंग्रेज़ी और नागालैंड की स्थानीय भाषा का मिक्सचर है लेकिन सबटाइटल्स के सहारे आप ये हर्डल भी आसानी से पार कर लेंगे क्योंकि साउथ के विपरीत नागालैंड की भाषा नागामीज (शायद) मुझे बांग्ला और नेपाली के करीब लगी इसलिये समझने में उतनी जटिल नहीं लगी।
बाकी पूर्वोत्तर राज्यों की खूबसूरती देखने के लिये भी इस सीरीज को देखा जा सकता है। ये सीरीज अमेज़ॉन प्राइम पर उपलब्ध है।
.(अंजू शर्मा)