Tuesday, October 21, 2025
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Story : आखिरी बार आपके हाथों को तकिया बना कर सोना चाहती हूं, बस!

Story :  पढ़ते-पढ़ते रोना आ जाएगा, जिस पर ऐसा समय बीतता है वो कैसे सहन करता होगा?

 

Story :  पढ़ते-पढ़ते रोना आ जाएगा, जिस पर ऐसा समय बीतता है वो कैसे सहन करता होगा?

पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे लोगों का आना-जाना अब बन्द हो गया था। वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया था कि अचानक उसे पत्नी का लिखा पत्र मिला। पत्र में लिखा था-

प्रिय पतिदेव,

मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है। वो भी अंतिम स्टेज में चल रहा है। मैं यह भी जानती हूँ कि मेरे पास अब बहुत कम दिन बचे हैं। मुझे यह भी पता है कि आपने मेरे इलाज में अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी है, सारे गहने बिक चुके हैं.. कितनी मेहनत से बचत कर के जो प्लॉट हमने खरीदा था वह भी मेरी बीमारी की भेंट चढ़ चुका है। ये सारी बातें मुझे नही बताओगे तो क्या मुझे पता नही चलेगा?

आपकी अर्धांगिनी हूँ। जिंदगी के 12 साल आपके साथ गुजारे हैं, आपके चेहरे को पढ़कर जान जाती हूँ कि आप किस हालत में हो। मगर मेरी मजबूरी तो देखिए मैं आपके आंसू भी नही पोंछ सकती।

आप अकेले में जब रोते हो तब छुप कर देखती हूँ।

फिर खुद भी रोती हूँ। कमबख्त जिंदगी हमे किस मोड़ पर ले आई है। एक दूसरे का दर्द भी नही बाँट सकते। आंसू भी नही पोंछ सकते।

आप समझते हैं आपको रोते देख कर मैं कमजोर पड़ जाऊंगी, इधर मैं नही चाहती आप कमजोर पड़े।

कितनी बेगानी हो गई हूं न मैं?
आपकी उदासी का कारण भी नही पूछ सकती।
आज कल सब जान-पहचान वाले मिलने आ रहे हैं।
शायद अब मैं एक दो-दिन की मेहमान हूँ।
शायद मेरी यात्रा पूरी हो चुकी है।
ये कैसा बुलावा है जिसका मुझे पहले से पता है।
मुझे मरने से डर नही लगता।
डर लगता है आप कैसे सह पाओगे मेरी जुदाई ?
शाम को घर आते ही मुझे तलाश करते हो।
मगर अब मैं घर में नही मिलूंगी।

कलेजा मजबूत कर लेना ,जानती हूं बहुत मुश्किल होगा आपके लिए मुझे भुलाना। दो दिन मायके चली जाती हूँ तो पीछे पीछे चले आते हो। अब तो हमेशा के लिए बुलावा आ गया है।

हाथ और साथ दोनों छोड़ कर जा रही हूँ। मगर आप हिम्मत मत हारना, बच्चे अभी बहुत छोटे हैं। उनसे कहना मम्मी भगवान के पास गई है। जल्दी लौट कर आएगी।

मेरे चले जाने के बाद बिल्कुल भी मत रोना। कलेजे को पत्थर कर लेना।

आप मुझसे कहा करते थे ना कि मैं बहुत डरपोक हूँ, बात-बात पर रो पड़ती हूँ, अब देखो ना आपकी पत्नी कितनी मजबूत हो गई है। दुनिया से विदा होने वाली है, रात दिन दर्द को लेकर जी रही है, मगर एक बार भी नही रोई।

सफर बहुत छोटा रहा, मगर क्या करूँ अब साथ नही दे पाऊंगी।

इतना प्यार देने के लिए आभार।

मेरे सारे नखरे उठाने के लिए धन्यवाद।

मुझे टूट कर चाहने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

जानती हूं आपको मेरी लत लगी हुई है, भुलाना बहुत मुश्किल है, मगर आपको खुद को सम्भालना ही होगा। मैं रोज आसमान से देखा करूँगी।

टाइम पर नहाना, टाइम पर खाना खा लेना, क्योंकि आपको ये सब याद दिलाने के लिए आपकी पत्नी अब नही होगी।

अब मैं ना रहूँगी, अब आलस्य करना छोड़ देना।

जब तक मैं थी आप घर की हर चिंताओं से मुक्त थे।

दोनों बच्चों की तरह आपका भी ख़याल रखना पड़ता था, मगर अब आप बच्चा बनना छोड़ देना।

अब रूठना छोड़ देना क्योंकि आपको मनाने के लिए अब आपकी पत्नी नही रहेगी।

अब टूटना भी छोड़ देना क्योंकि आपकी हिम्मत बंधाने के लिए आपकी पत्नी नही होगी।

ए जिंदगी तेरे सफर में इतने दुख क्यों हैं ?
जो जीना ही नही चाहते उनके लिए तू बहुत लंबी है, मगर जो जीना चाहते है उनकी सांसे इतनी कम क्यों हैं ?

अब और नही लिखा जाता, हाथों में दम बिल्कुल भी नही है फिर भी लिख रही हूँ।

आप दो दिन से सोये नही थे, इसलिए आज गहरी नींद में सो रहे हो। मुझे लिखने का वक़्त मिल गया, मगर अब मैं लिखना बन्द करके आपको थोड़ा सा निहारना चाहती हूँ। पता नही, सुबह उठूं या ना उठूं।

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