Rekha Gupta को दिल्ली सीएम बनाने के पीछे महत्वपूर्ण कारण है, चौंकाने की राजनीति नहीं !..
अटल आडवाणी की सबसे बड़ी सफलता यही थी कि उन्होंने अपने पतन से पहले ही बीजेपी की नई खेप तैयार कर दी।
आज दिल्ली दरबार मे बैठा एक बड़ा वर्ग अटल आडवाणी द्वारा ही तैयार हुआ। यही कारण था कि बीजेपी 10 साल सत्ता के बाहर हो गयी मगर दोबारा लौटी, पीछे से पार्टी को व्यवस्थित करने के लिये RSS तो है ही।
लेकिन अब ये ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते जिससे फिर सत्ता से बाहर होना पड़े इसलिए हर राज्य मे ऐसे मुख्यमंत्री बनाये गए जो कम से कम 15-20 वर्ष और राजनीति मे रहेंगे।
कुछ लोगो को चाहिए था कि एकदम कट्टर व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाओ, योगी फैन्स है, 2024 का लोकसभा चुनाव देखा? जनता खुद योगी की सगी नहीं हुई, ये महज आपकी इच्छा है कि हिन्दुओ मे औरंगजेब खड़े करो, जबकि हिन्दू के भाग्य मे सदा ही संभाजी आये है।
इस बैलेंस को बिगाड़ोगे तो शुरूआती सफलता मिल जायेगी मगर बाद मे बुरी तरह पछताना पड़ेगा। योगी जी मेरे भी पसंदीदा मुख्यमंत्री है मगर सोशल मीडिया पर जिस लेवल की हाइप दी जा रही है और जो उम्मीदें पाली जा रही है ये दुखो का तूफान लेकर आएगी।
बीजेपी का वर्चस्व इसलिए नहीं है कि उसके पास योगी जैसे लोग है बल्कि बीजेपी का वर्चस्व इसलिए है क्योंकि वो एक विचारधारा से बँधी है। बीजेपी ने योगी को खड़ा किया उसके बाद योगी बीजेपी को जीताने की भूमिका मे आये है, ये खुद योगी भी मान चुके है।
इसलिए थोड़ा प्रैक्टिकल सोचने की आवश्यकता है, आप भजनलाल शर्मा से खुश नहीं हो मगर मोहन यादव को भी देखो। योगी के बाद सबसे ज्यादा बुलडोजर पुष्कर सिंह धामी ने चलाये है उन्हें भी रबड़ स्टाम्प ही बोला गया था।
ये बात तो तय है कि मोदी और शाह अपने हिसाब से चलने वाला मुख्यमंत्री चाहते है और ये आवश्यक है क्योंकि यदि ऐसा नहीं किया तो बीजेपी मे भी बगावते होना शुरू हो जायेगी जैसी की हम कांग्रेस मे देख चुके है।
रेखा गुप्ता का नाम भी किसी एंगल से गलत नहीं है, सोशल मीडिया पर लोगो को महज ज्ञान देने से मतलब है। पार्टी को अपना भविष्य खुद ही सोचना है ये ज्ञान देने वालो मे अधिकतर वे भी है जो 240 सीट आने पर टोंट कस रहे थे, इसलिए जो लोग नकारात्मक पोस्ट्स पढ़ रहे है वे इसे खुद पर हावी ना होने दे।
रेखा गुप्ता के खिलाफ लिखने वाले लोगो की टाइमलाइन पर जाकर उनकी पिछली 5 पोस्ट्स पढ़ लीजिए। सरकार के विरुद्ध सिर्फ और सिर्फ असंतोष दिखेगा, यदि प्रवेश वर्मा भी बन जाता तो भी ये नकारात्मक ही लिख रहे होते भले ही अभी पैरवी कर रहे होंगे। क्योंकि इन्हे प्रवेश वर्मा या रेखा गुप्ता से मतलब नहीं है बस संतुष्ट नहीं होना ही लक्ष्य है।
हिंदूवादियों का यही खेमा है जिसे मैं स्विंग वोटर कहता हुँ, ये वो वर्ग है जो चुनावों मे नकारात्मक बाते करके बीजेपी के वोट कटवा कर विपक्ष को फायदे पहुँचाता है। इसलिए यदि बीजेपी मुस्लिम वर्ग से कुछ वोट पाने के लिये प्रयास करें और बस 1% भी पा ले तो समझो इस वर्ग की काट हो जाएगी।
हिंदूवादियों से भी अपील है कि आप इन नामो मे मत उलझो, ये भविष्य की तैयारी है। मोदी शाह अमर नहीं है, इन्हे जाने से पहले वो नेता खडे करने है जो कांग्रेस की अगली पीढ़ी से भारी पड़े। इसलिए जो हो रहा है बढ़िया है किसी मिस इनफार्मेशन मे ना फसे।
जो लोग रेखा गुप्ता को चुने जाने की आलोचना कर रहे है उन्हें खुद संगठन तो क्या एक NGO चलाने का कोई अनुभव नहीं है। निर्णय उनका है जिन्हे अनुभव है और विरोध वे कर रहे है जिन्हे अनुभव नहीं है इसलिए धैर्य रखे सब ठीक ही होगा।
(परख सक्सेना)