Poetry on Holi by DK Sharma: कोलकाता के शर्मा जी मूल रूप से वैद्य हैं, उनकी कलम से प्यारी सी कविता जन्मी है होली पर..
जब घर रंगे जाते हैं, तो दीपावली…
और जब घरवाले रंगे जाते हैं, तो होली !
जब घर में दीपक जलाए जाते हैं, तो दीपावली…
और जब बाहर चौक में अग्नि जलाई जाती है, तो होली !
एक में केवल अग्नि (प्रकाश) है,
तो दूसरे में अग्नि के बाद जल भी है !
दीपावली भगवान का त्यौहार है
तो होली भक्त का त्यौहार है !
जब बाहर रोशनी हो, तो दीपावली
और जब अन्तर्मन में रोशनी हो तो होली !
अब होली आज खेलें या कल खेलें पर खूब धूम धाम से खेलें… जरूर खेलें.. गुलाल से, रंग से, पानी से खेलें…अपने अंदर का इंसान जिंदा रखें, अपना बचपन जिंदा रखें! आपको रंगोत्सव होली की शुभकामनायें!
(डीके शर्मा)