पटना २१ अप्रैल। सर्वत्र संस्कृतम्. संकल्प के साथ आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अन्तर्गत मनायी गयी संस्कृत शिक्षिका शांति देवी की पुण्यतिथि संस्कृतमय हो गयी। उद्घाटन करते हुए राजकीय संस्कृत महाविद्यालय काजीपुर के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने शांति देवी को योग्य शिक्षिका बताया ।
उन्होंने ने कहा कि शांति देवी विदुषी होने के साथ ही उनका व्यक्तित्व संस्कृत और हिन्दी में रचा -बसा था। मुख्यातिथि श्री शिवाकांत तिवारी ने कहा कि प्रधानाध्यापिका के रूप में शांति देवी व्यक्तित्व विकास के लिए बच्चों में परस्पर संस्कृत संवाद की पक्षधर रहीं।
सभी अतिथियों ने शिक्षिका स्व० शांति देवी के व्यक्तित्व को स्मरण करते हुए उनके कृतित्व को नमन किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि शांति देवी का स्मृति आयोजन संस्कृत और हिन्दी को समर्पित होने से भारत की भाषा -बोली के संवर्धन को बल मिला है। उन्होंने कहा कि एक मां के रूप में उनसे प्रेरित होकर आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान चलाया जा रहा है.
विशिष्ट अतिथि डॉ मिथिलेश कुमार तिवारी, डॉ शशिकांत तिवारी उग्र नारायण झा, हृदय नारायण झा, डॉ राघव नाथ झा, श्री मुरलीधर शुक्ल आदि वक्ताओं ने ने भी संस्कृत शिक्षिका शांति देवी के व्यक्तित्व पर विस्तृत प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में आज के हृदय नारायण झा, नव बिहार टाइम्स के प्रधान संपादक डॉ कमल किशोर, डॉ मिथिलेश कुमार, श्री शिवाकांत तिवारी, डॉ मनोज कुमार, डॉ शशिकांत तिवारी, विवेक तिवारी, संस्कृत समाचार पत्र के पत्रकार डॉ राघव नाथ झा, मुरलीधर शुक्ल, उग्र नारायण झा, रामनाथ पाण्डेय, आयुष मिश्रा, डॉ ज्योति शंकर सिंह, कुमारी दीपाली, नीरज कुमार, नितीश कुमार सहित तीस संस्कृत प्रचारकों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का समाहार करते हुए स्वस्ति वाचन आयुष मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन विवेक तिवारी ने किया।