Sanjay Dalal writes : समाज को जंगल बनाने वाले सुअरों को तो डरना ही होगा हमारे शेर से..
जंगल में सिंह भी रहता है और सुअर भी ।
अब जो जंगली सुअर होता है उसके बाहर निकले दाँत और पंजे/खुर बहुत खतरनाक होते हैं ,
उसकी थूथन की मारक क्षमता भी खतरनाक होती है ,
ताकत भी सुअर में बहुत होती है और आक्रामक भी खूब होता है इतना कि शेर भी सामने हो तो घबराता नही है मुकाबले को अड़ता है ।
अब जब इनका सामना होता है तो क्या दृश्य होता है जरा देखिये ……….. एक तरफ शेर खड़ा है 5-10 फुट की दूरी पर सुअर खड़ा है ………
न शेर हमला करता है न सुअर ……..
न शेर पीछे हटता है न सुअर ……..
बस दोनों एकदूसरे की आँखों मे आँखें डालकर जड़वत खड़े हैं ।
फिर शेर पसलियों में पूरी हवा भर कर इतनी जोर से दहाड़ता है कि आसपास के पेड़ पौधे भी थर्रा जाते हैं पर सुअर पर किंचित भी प्रभाव नही पड़ता वो वैसे ही तन कर खड़ा है ,
लेकिन जब उधर से युद्धघोष का शंख फूंक दिया गया है तो सुअर भी अपना बल प्रदर्शन करता है ।
वो भयंकर गुस्से में होकर
वो अपनी थूथन से ,बाहर निकले दांतों से और पंजों/ खुरों से जमीन को खोदने लगता है किसी jcb मशीन की तरह 5-7 फुट का गड्ढा मिनटों में खोद डालता है और धूल का गुब्बार उड़ता है …….
बस चारों धूल ही धूल और कुछ नजर नही आता और सुअर सोचता है कि शेर डर कर भाग गया होगा,
आस पास पेड़ों पर चढ़े बन्दर पेड़ की डालियों को हिला हिला कर नाच कूद रहे होते हैं कि आज तो शेर गियो …… गियो रे बाबा शेर तो गियो ……
पर जब धूल छंटती है तो शेर को वहीं खड़ा पाता है ।
और शेर फिर जोर से दहाड़ता है प्रत्युत्तर में सुअर फिर वही शक्ति प्रदर्शन की प्रक्रिया दोहराता है ……
फिर गड्ढा खोदता है फिर धूल का गुब्बार …….
गुब्बार छंटने पर फिर शेर सामने …..
शेर फिर दहाड़ मार देता है और सुअर फिर जेसीबी चला देता है फिर धूल का बादल ………….
ऐसा 8-10 बार होता है ……
शनः शनः
खुदाई के इस क्रम में हर बार सुअर की शक्ति क्षीण होती चली जाती है और सुअर पस्त होता चला जाता है शेर के बिना कुछ किये ही ।
और एक समय ऐसा आता है कि सुअर के फेफड़े हिल जाते हैं हाँफने लगता है और शक्तिहीन होकर बैठ जाता है प्रतिरोध की क्षमता व इच्छाशक्ति भी खो बैठता है और शेर बड़े ही प्यार से आकर सुअर की एक एक बोटी उधेड़ डालता है ………….
बिल्कुल यही रणनीति मोदी की है ,
जो महबूबा अपने खुरों से मिट्टी उड़ाती रहती थी कि धारा 370 हटी तो कश्मीर में कोई तिरंगे को उठाने वाला नही मिलेगा आदि आदि ,
यासीन मलिक जो सरेआम हमारे वायुसैनिकों की हत्या बड़े गर्व से कबूलता था और गर्दा उड़ाता था कि हम ये कर देंगे वो कर देंगे आदि आदि ,
यूँ ही अब्दुल्ला पिता पुत्र का भी अलग ही जलवा था और इन जैसे न जाने कितने ही गिलानी जिलानी घाटी में धूल उड़ाए रहते थे ,
आज वो सब कहाँ हैं भई ?
एक तरह से हमारे सिंह ने निगल ही लिया न इन सब सुअरों को बिना किसी विशेष मेहनत के ।
अब इसी तरह इमरान नियाजी संयुक्त राष्ट्र संघ में धूल उड़ा रहा …….
इसमे कोई शक नही कि वाकई में इमरान ने वहाँ गर्दा गर्दा कर दिया है कुछ फुट गड्ढा खोद दिया …….
आसपास बन्दर भी उछल कूद कर ताली पीट रहे कि वाह हमारे वाले सुअर ने तो जबरदस्त माहौल बना दिया …..
अब तो मोदी गियो ………
पर ये बन्दर और सुअर शायद हमारे शेर की प्रवर्ति से अनभिज्ञ हैं या अनभिज्ञ होने का नाटक कर रहे और अपने सुअर को पता नही क्या मान बैठे हैं ।
पर ये मोदी है जनाब इसकी नीति रणनीति आजतक कोई समझ पाया है क्या ?
बहुत जल्द ही सुअर हाँफते हुए पसर जाएगा और शेर उसको चट कर जाएगा ये तय है ।
राजा राम चन्द्र की जय।
(संजय दलाल)