निर्मला सीतारमण ने एक दिन मे खुद को अब तक का सबसे अच्छा वित्तमंत्री घोषित किया है। पहली बार कोई सरकार आयी जिसने मध्यम वर्ग का इतना ध्यान रखा।
बीजेपी अमीरो की पार्टी तों थी ही मगर आज उसने खुद को मध्यमवर्ग की पार्टी भी घोषित किया। ये वो वर्ग था जिसकी हर सरकार ने बलि ही चढ़ाई है, क्योकि मध्यमवर्ग के बारे मे फेमस था कि ये वर्ग वोट डालने नहीं जाता।
खैर ये बात तों आज भी लागू है मगर बावजूद इसके एक सरकार आयी जिसने इस दिशा मे कुछ तों सोचा। बहुत नकारात्मकवादी लोग पोस्ट कर रहे है कि 12 लाख कमाये कैसे? जबकि ये आपको छूट की रेंज मिली है।
IT कंपनी मे प्लेसमेंट पाने वाला एक युवा 3-3.5 लाख रूपये साल का कमाता है 4-5 सालो के अनुभव के बाद वो 8-9 लाख रूपये तक आता है लेकिन सरकार ने टैक्स की रेंज 12 लाख करके उसे एक अभयदान दिया है।
नौकरी लगने के कई सालो तक आप टैक्स नहीं भर रहे होंगे। सरकार ने 1 लाख करोड़ रूपये का अपना रेवेन्यू कम किया है। उसके बावजूद वित्तीय घाटा घटाकर 4.4% पर ला दिया है।
कुछ नुकसान ये भी हुए कि इस बार हम शिक्षा और स्वास्थ्य मे खर्चे नहीं बढ़ा सके, रक्षा बजट जरूर बढ़ा है लेकिन हमारा दुर्भाग्य ये है कि रक्षा बजट मे आधा पैसा तों पूर्व सैनिको की पेंशन मे ही चला जाता है।
इसलिए हम अमेरिका तों दूर यूरोप के साधारण देशो की तरह भी हथियारों पर खर्च नहीं कर पाते। हमारा रिसर्च का बजट जरूर बढ़ा है लेकिन वो महज 15 अरब डॉलर का है। इसे तुलना करें तों चीन का 500 अरब डॉलर का है।
यदि आपको विकसित देश बनना है तों रिसर्च पर पैसा लुटाना होगा, तब ही निर्यात बढ़ सकेंगे और नई तकनीक विकसित होंगी। जाति जनगणना कराने से निर्यात नहीं बढेगा.
खैर सरकार निर्यात बढ़ाने के हिसाब से ही बजट लायी है और यही तरीका है कि हम किसी तरह देश की आय बढ़ा सकेंगे। सबसे अच्छी बात यही रही कि nirmalatai ने कहा कि भविष्य मे मध्यम वर्ग के लिये और भी योजनाए आएगी।
पिछले साल सरकार की तीखी आलोचना की थी इस बार प्रशंसा बनती है ये 75 वर्षो का सबसे अच्छा बजट है चाहे इसमें बाजपेयी जी के 7 और मोदीजी के 10 साल भी क्यों ना जोड़ लो मगर इतना अच्छा बजट पहले कभी नहीं आया।
हालांकि जनता का स्वभाव भूलने वाला होता है छः से आठ महीने के बाद ही जनता पूछती नजर आएगी कि आम आदमी के लिये सरकार ने किया ही क्या है? या हिन्दुओ के लिये इस सरकार ने क्या किया है?
इसके लिये आवश्यक है कि सभी तथ्यों से अवगत रहे और भूलने की बीमारी से बचे, ये छोटे छोटे तथ्य की अनदेखी इतिहास मे गजनवी और गौरी को न्योता दे चुकी है।
(परख सक्सेना)