Tuesday, November 11, 2025
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Chhath Puja 2025: क्यों निभाई जाती है ‘कोसी भरने’ की परंपरा? जानिए इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Chhath Puja 2025: यह पर्व सूर्य उपासना और आस्था का अद्भुत संगम है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं ताकि परिवार में सुख, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और संतान की दीर्घायु बनी रहे..

Chhath Puja 2025: बिहार के हिन्दू समाज में यह विश्वास है कि जब किसी की मनोकामना या मन्नत पूरी होती है, तो वह छठी मैया को धन्यवाद स्वरूप कोसी भरते हैं..

छठ पूजा भारत के सबसे पवित्र और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह पर्व सूर्य उपासना और आस्था का अद्भुत संगम है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं ताकि परिवार में सुख, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और संतान की दीर्घायु बनी रहे।

इस पूजा की कई विशेष परंपराएँ हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण प्रथा है — ‘कोसी भरना’, जो छठ पर्व के तीसरे दिन की जाती है। आइए जानें इस परंपरा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व।

धार्मिक दृष्टि से कोसी भरने का अर्थ

मान्यता है कि छठ पर्व के तीसरे दिन जब भक्त डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, उसी शाम कोसी भरने की रस्म निभाई जाती है। यह परंपरा कृतज्ञता और आभार का प्रतीक मानी जाती है।

विश्वास किया जाता है कि जब किसी की मनोकामना या मन्नत पूरी होती है, तो वह छठी मैया को धन्यवाद स्वरूप कोसी भरते हैं। यह न केवल माँ छठी के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि परिवार में खुशहाली, संपन्नता और एकता का भी प्रतीक माना जाता है।

 वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोसी का महत्व

कोसी भरने की प्रक्रिया में पाँच गन्नों का उपयोग किया जाता है, जो पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश — इन पाँच तत्वों का प्रतीक होते हैं। ये तत्व जीवन के संतुलन और प्रकृति के सामंजस्य की ओर संकेत करते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टि से भी छठ पर्व का गहरा महत्व है। छठ पूजा के दौरान जब भक्त सूर्य की किरणों के संपर्क में आते हैं, तो शरीर को विटामिन-डी जैसी प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर सूर्य की तेज किरणों से होने वाले संभावित दुष्प्रभावों से सुरक्षित रहता है।

 कोसी भरने की विधि

संध्या अर्घ्य के दिन घर की छत या आँगन में गन्नों से एक मंडप या छत्र बनाया जाता है। मंडप के बीच में मिट्टी से बने हाथी के ऊपर कलश रखा जाता है। उस कलश में प्रसाद, दीपक और पूजा की सामग्री रखी जाती है।

रातभर परिवार और आस-पड़ोस के लोग मिलकर जागरण करते हैं तथा पारंपरिक छठ गीत गाते हैं। इस अवसर को ‘कोसी सेवना’ कहा जाता है, जो सामूहिक भक्ति और आनंद का प्रतीक होता है।

 संध्या अर्घ्य का महत्व

छठ पूजा का संध्या अर्घ्य वह पवित्र क्षण होता है जब व्रती डूबते सूर्य को जल अर्पित करते हैं। यह आभार, भक्ति और जीवन में ऊर्जा की कामना का प्रतीक है। इस समय भक्त सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन में प्रकाश, शक्ति और समृद्धि बनी रहे।

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