Dara Singh: जनजातीय लोगों को ईसाई मत में धर्मान्तरित करने वाले आस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस की हत्या के आरोपी रहे हैं दारा सिंह जिन्होंने अपना जीवन और अपने परिवार का सुख-चैन हिन्दू धर्म के नाम पर कुर्बान कर दिया..
१९९९ में आस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उसके दो बच्चों की हत्या के आरोप में उत्तर प्रदेश निवासी दारा सिंह को आजीवन कारावास का दंड दिया गया था। उसके बाद उनके परिवार की क्या दुर्दशा हुई, कैसे कैसे मुसीबतों का सामना करना पड़ा, उस बेहाली को आखिर सत्य की विजय उपलब्ध हुई…दारा सिंह 25 साल बाद जेल से छूट गये हैं
उड़ीसा के जेल में बंद थे दारा सिंह की वापसी
एडवोकेट विष्णु जैन का आभार। साल 1999 में ओडिशा के मनोहरपुर में ऑस्ट्रेलिया के मिशनरी ग्राहम स्टेंस की उनके परिवार सहित एक भीड़ ने हत्या कर दी थी । भीड़ का आरोप था कि ग्राहम स्टेंस भोले- भाले जनजातीय लोगों को ईसाई मत में धर्मान्तरित कर रहा है। पुलिस की जाँच में इस घटना के पीछे उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के रवींद्र कुमार पाल उर्फ़ दारा सिंह की मुख्य भूमिका सामने आई थी । आखिरकार सुप्रीम कोर्ट तक चली कानूनी कार्रवाई में कुल 4 मुकदमों में दारा सिंह को जुर्माने सहित अधिकतम उम्रकैद की सजा सुनाई गई ।
25 साल से अधिक समय तक जेल काट चुके दारा सिंह के गाँव ऑपइंडिया की टीम पहुँची और वर्तमान हालातों का जायजा लिया । हमने पाया कि दारा सिंह का परिवार बद से बदतर हालतों में जीवन यापन कर रहा है ।
औरैया के ककोड़ बाजार में लगभग 200 मीटर मुख्य सड़क से अंदर जाने के बाद दारा सिंह का घर एक गली में बना हुआ है । गली के अंदर पानी भरा हुआ था और नाली बजबजा रही थी । नाली के ऊपर दारा सिंह का बिना प्लास्टर किया घर बना है । लोहे का गेट पार कर के हम अंदर गए तो वहाँ गाय, भैंस और बकरियाँ बँधी थी । बकरियाँ पालना दारा सिंह का परिवार अपना पुश्तैनी काम बताता है। मूल रूप से दारा सिंह हिन्दुओं की पाल बिरादरी से हैं, जिसे उत्तर प्रदेश में गड़रिया भी कहा जाता है । यह बिरादरी पेशेवर तौर पर पशु पालन के लिए जानी जाती रही है ।
न बैठने का ठिकाना और न ही सोने का
दारा सिंह के घर में घुसने के बाद बाहरी हिस्से दालान में एक टूटा तख़्त पड़ा हुआ था। टूटे तख़्त पर बरसात की बूँदे पड़ी हुई थी जो छत से टपक कर आईं थीं। बगल में जर्जर हालात में एक साइकिल खड़ी थी जिस से दारा सिंह का भाई अरविन्द कुमार पाल रोज़ी-रोज़गार की तलाश करने जाते हैं। घर के अंदर आँगन में एक जगह पर 2 तख़्त जोड़ कर रखे गए हैं जो दारा सिंह के परिजनों के सोने का स्थान है। पूरे घर में कहीं भी पक्की फर्श नहीं है। पशुओं के बाँधने वाली जगह पर ईंट बिछाई गई है।
रसोई और शौचालय दोनों जर्जर
गरीबी के चलते दारा सिंह के घर में रसोई घर और शौचालय दोनों ही जर्जर हालात में हैं। दारा सिंह के भाई अरविन्द सिंह ने हमें बताया कि जल्द ही वो इसे ठीक कराएँगे क्योंकि इस से परिवार को काफी असुविधा हो रही है। किचन में सिलेंडर गैस सहित कुछ बर्तन मौजूद हैं लेकिन उसके बाहर खुले में मिट्टी का चूल्हा भी मौजूद मिला। हमें बताया गया कि पैसे बचाने के लिए खास मौकों पर ही सिलेंडर गैस से खाना बनाया जाता है।
ज्यादातर दिनों में दारा सिंह का परिवार मिट्टी के चूल्हे पर लड़की जला कर खाना बनाता है। रसोई में अधिकतर बर्तन टूटे-फूटे अवस्था में थे।
टूटा शीशा और 25 साल पुराना टेलीविजन
जिस शीशे में दारा सिंह का परिवार कहीं आने-जाने के दौरान मुँह देख कर खुद को तैयार करता है, वो कम से कम 15 साल पुराना है । शीशा एक तरफ से टूट गया है, जिसे अरविन्द पाल ने घर की दीवाल में मिट्टी के लेप से चिपका दिया है । इसी के साथ घर के अंदर लगभग 25 साल पुराना ब्लैक एंड व्हाइट छोटा सा टेलीविजन पड़ा है, जो अभी भी जुगाड़ से चलाया जाता है । हमें बताया गया कि 24 साल पहले जब दूरदर्शन पर दारा सिंह का समाचार दिखाया जाता था तब कर्ज ले कर उनके पिता ने यह टीवी खरीदी थी । तब से आज नया टेलीविजन खरीदने के पैसे दारा सिंह का परिवार नहीं जुटा पाया।
बरसात में घर में भर गया पानी
जब मीडिया की टीम दारा सिंह के घर पहुँची, तब जोर की बरसात हो रही थी। कुछ ही देर की बरसात में न सिर्फ दारा सिंह की गली बल्कि उनके घर के ज्यादातर हिस्सों में पानी भर गया था। घर का वो बाहरी हिस्सा जहाँ पशुओं को बाँधा गया था वो जलमग्न हो गया था। अंदर के हिस्से में भी जहाँ खाना आदि बनाया जाता है वहाँ भी बरसात का पानी भर गया। दारा सिंह के परिजनों ने इसे आए दिन की परेशानी बताया। उन्होंने यह भी बताया कि इस वजह से अक्सर कीड़े-मकोड़े और मच्छर के साथ कभी-कभार साँप आदि भी निकल आते हैं।
परिवार के लिए आज भी धर्म सर्वोपरि
भले ही कोर्ट-कचेहरी के चक्कर में दारा सिंह का परिवार पिछले 24 वर्षों में आर्थिक तौर पर टूट गया हो लेकिन यहाँ आज भी धर्म सर्वोपरि रखा गया है। परिवार घर में पाले गए गोवंश का सबसे खास ध्यान रखता है। इसके अलावा देवी-देवताओं के चित्र और मूर्तियाँ आदि बेहद सलीके से ऐसी जगह लगाए गए हैं जहाँ पानी और धूल आदि उन्हें नुकसान न पहुँचा सके। दारा सिंह के घर के इंट्री गेट पर भी सबसे आगे ‘ॐ’ का चिह्न नजर आता है।
घर बनवाने में ईंट भी ‘राम’ मार्का
उन्होंने बताया, “घर बनवाने में ईंट भी ‘राम’ मार्का प्रयोग हुई है। दारा सिंह के परिजन आज भी सुबह स्नान आदि कर के सबसे पहले पूजा-पाठ करने के बाद ही अपने काम की शुरुआत करते हैं। दारा सिंह के भाई अरविन्द कुमार पाल ने हमसे कहा, “यही धर्म ही हमारी धरोहर है।”
मुकदमेबाजी और कानूनी लड़ाई में हुए बर्बाद
अरविन्द पाल ने हमें बताया कि कागजी कार्रवाई और कानूनी लड़ाई में उनके घर की ये दशा हुई है। 24 साल तक चली मुकदमेबाजी में दारा सिंह के परिजनों की न सिर्फ थोड़ी-बहुत अचल सम्पत्ति बल्कि गहने तक बिक गए हैं। घर को पक्का बनवाने में कई जगहों पर कर्ज लिया गया है जिसके तगादे के लिए आज भी लोग आते हैं। अरविन्द पाल का ये भी कहना है कि जब तक दारा सिंह जेल से छूट कर घर नहीं आ जाते तब तक कानूनी लड़ाई जारी रखी जाएगी और तब तक घर में किसी नए निर्माण की संभावना न के बराबर है।
(अज्ञात वीर)



