Leftist Media Conspiracy: सिर्फ एक बीबीसी ही नहीं है देश में राष्ट्र विरोधी और सनातन विरोधी अजेंडा चलाने वाले बहुत से अखबार और मीडिया हाउसेस हैं जिन्हें बैन किया जाना चाहिए. एक उदाहरण इस तरह की साजिशाना कोशिश की यहां देखिये..
देश की जनता बहुत भोली है. 74 प्रतिशत लिटरेसी रेट वाले भारत के शेष 26 प्रतिशत लोग 35 करोड़ से ज्यादा हैं. और इस 74 प्रतिशत लिटरेसी वाले आंकड़े में वो लोगो भी शामिल किये गए हैं जो अपना नाम लिख लेते हैं और थोड़ा सा पढ़ भी लेते हैं. इस तरह के लोगों की संख्या भी बीस प्रतिशत है देश में जिन्होंने पांचवीं कक्षा तक भी पढ़ाई पूरी नहीं की. यदि ऐसे लोगों को आप 15 प्रतिशत मान लें तब आप आसानी से समझ सकते हैं कि देश में चालीस प्रतिशत से अधिक लोग शुद्ध रूप से पढ़े-लिखे नहीं कहे जा सकते.
ऐसी हालत में इस भोले देश की चालीस प्रतिशत भोली जनता अर्थात लगभग 55 करोड़ लोगों को बड़ी आसानी से बेवकूफ बनाया जा सकता है और ज़रा सी तिकड़म लगा कर बरगलाया जा सकता है. देश में वामपंथी मीडिया यही काम कर रहा है. किस तरह देश में आग लग जाए, देश का अहित हो जाए और विदेशी शक्तियां देश पर हावी हो जाएँ या देश फिर से गुलामी की हालत को प्राप्त हो जाए -यही इन वामपंथियों का लक्ष्य है. लेकिन मोदी सरकार के आगे इनकी चल नहीं पाती इसलिए ऐसा हो नहीं सकता है. पर इनकी कोशिशें लगातार जारी हैं.
इस घटिया सोच की घटिया कोशिश का एक उदाहरण है ये अखबार जिसका नाम है दैनिक भास्कर. आप इसमें प्रायः इस तरह के राष्ट्र और धर्म विरोधी शीर्षक और मैटर पढ़ सकते हैं. आज का ये शीर्षक जो मास्ट हेड की हेडिंग कहलाता है – याने अखबार की सबसे बड़ी और सबसे पहली खबर – उस में इस तरह की भ्रान्ति फैलाने की कोशिश की गई है. इसका सीधा असर अनपढ़ और कम पढ़ेलिखे तथाकथित साक्षर (जो मूल रूप से निरक्षर ही हैं) के मानस को भ्र्ष्ट करने के लिए पर्याप्त है.
इस अखभार ने दो दिन पहले की खबर छापी है कि बेहिसाब भीड़ से हांफ रही है धर्म नगरी (जो आप यहां दिए गए चित्र में देख भी सकते हैं). शब्दों पर गौर कीजिये. बेहिसाब निगेटिव शब्द है जो बेहिसाब हरकतों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सकारात्मक शब्द है अत्यधिक जिसका उपयोग नहीं किया गया ताकि इस खबर को आप इनकी सोच के हिसाब से पढ़ें. भीड़ शब्द भीड़ के लिए होता है जबकि यहां प्रयागराज में श्रद्धालु आये हैं दुनिया भर से चल कर आस्थावान लोग आये हैं. हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं और आस्थावान लोगों को आप भीड़ नहीं कह सकते. भीड़ कह कर आप सिद्ध क्या करना चाहते हैं ? क्या आप मक्का-मदीना में हज करने के लिए आये हुए लोगों को भीड़ कह सकते हैं? एक बार कह के तो दिखाइए, फिर देखिये पत्रकारिता सारी बाहर निकाल दी जायेगी आपकी ! ..
इसके बाद हांफ रही है धर्मनगरी लिखा गया है. हांफना क्या होता है. नकारात्मक शब्द है हांफना जिसका अर्थ है बस अब और नहीं या बस अब और नहीं सहा जाता ..या बस अब क्षमता नहीं हैं .. या बस अब मेरी हालत खराब हो रही है..या इसके आगे दम टूट जाएगा.. आप आसानी से समझ सकते हैं कि शीर्षक के इस वाक्य का अर्थ क्या है और इस शब्द से क्या कहने की कोशिश की गई है. धर्म नगरी हांफ रही है ?
ज़रा उन लोगों से पूछिए जो महाकुम्भ से गंगा स्नान करके वापस आ रहे हैं. सभी का कहना है कि बहुत अच्छी व्यवस्था है. सारी व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं. न केवल सरकारी प्रशासन अच्छा काम रहा है, प्रयागराज के लोग भी व्यवस्था में सहयोग दे रहे हैं और दुनिया भर से आरहे श्रद्धालु अतिथियों को पूरा सहयोग दे रहे हैं. फिर आपको यहां तकलीफ क्यों हो रही है ? पचास करोड़ से ज्यादा लोग क्या ऐसे ही स्नान करके आ गए प्रयागराज से ? क्यों परेशानी है आपको कि सनातन का ये वैश्विक उत्सव सफलता पूर्वक सम्पन्न हो रहा है तो आग लग रही है आपको?
इस तरह के शीर्षक और मैटर प्रायः इस अख़बार में और इस तरह के अखबारों में पढ़ने को मिल जाते हैं लेकिन कोई कुछ बोलता नहीं है. ये अख़बार भी बोलने और लिखने की आज़ादी का फायदा उठाते हैं और अपना एजेंडा आगे बढ़ाते हैं. न्यूट्रल और बैलेंस्ड खबरों के नाम पर एक तरफ़ा खबरें लिखी जाती हैं जो देश की बहुसंख्यक जनता, उसके राष्ट्र, उसकी संस्कृति और उसके धर्म पर आघात करने की परोक्ष या अपरोक्ष कोशिशें होती हैं.
ऐसे अखबारों का बहिष्कार कीजिये. यदि और भी इस तरह के अखबार आपकी जानकारी में आएं तो आवाज़ लगाइये सबको बहिष्कार करने को कहिये. हमारे इस लेख को आगे बढ़ाइए सभी सनातनी भाइयों तक पहुंचाइये और इस अखबार के बहिष्कार में सहयोग दीजिये. जय राम जी की.