Friday, August 8, 2025
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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में सनातन धर्म का भव्य दर्शन, 50 करोड़ के पार हुई श्रद्धालुओं की संख्या

Mahakumbh 2025: 144 वर्ष के उपरांत आये इस विशेष महाकुंभ के प्रति देश और दुनिया से आस्थावान लोगों की भीड़ उमड़ रही है. भारत ही नहीं सारी दुनिया से श्रद्धालु त्रिवेणी पर स्नान के लिये प्रयागराज आ रहे हैं..

 

Mahakumbh 2025: 144 वर्ष के उपरांत आये इस विशेष महाकुंभ के प्रति देश और दुनिया से आस्थावान लोगों की भीड़ उमड़ रही है. भारत ही नहीं सारी दुनिया से श्रद्धालु त्रिवेणी पर स्नान के लिये प्रयागराज आ रहे हैं.

ये हैं कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु जो विश्व के सबसे बड़े आयोजन को अत्यंत विशेष बनाते हैं:

  • विश्व का पहला आयोजन, जिसमें 50 करोड़ से अधिक लोग बने प्रत्यक्ष सहभागी।
  • मानव इतिहास में किसी भी आयोजन में इतनी बड़ी संख्या में सहभागिता के कोई प्रमाण नहीं।
  • यदि चीन और भारत की आबादी को छोड़ दें, तो महाकुंभ में शामिल हुए श्रद्धालु दुनिया के कई बड़े देशों की कुल जनसंख्या से अधिक।
  • अमेरिका, रूस, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश की जनसंख्या से भी अधिक लोगों ने त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
  • महाकुंभ के समापन से 12 दिन पहले ही स्नानार्थियों की संख्या ने बनाया नया कीर्तिमान।
  • योगी आदित्यनाथ सरकार के सुव्यवस्थित प्रबंधों से महाकुंभ 2025 बना ऐतिहासिक, दुनियाभर से आ रहे श्रद्धालु।

महाकुंभ नगर अर्थात तीर्थराज प्रयागराज की पावन भूमि पर 13 जनवरी से चल रहा दिव्य एवं भव्य धार्मिक-सांस्कृतिक समागम ‘महाकुंभ 2025’ इतिहास रच चुका है। अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पवित्र डुबकी लगाकर धार्मिक एवं सांस्कृतिक एकता की अनुपम मिसाल कायम की है। यह संख्या किसी भी धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजन में मानव इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सहभागिता बन चुकी है।

इस विशाल आयोजन का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि केवल भारत और चीन की जनसंख्या ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं से अधिक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के अनुशासित प्रयासों से भारत की इस प्राचीन परंपरा ने अपनी दिव्यता और भव्यता से संपूर्ण विश्व को आकर्षित कर लिया है।

अमेरिका, रूस और पाकिस्तान जैसे देशों की कुल जनसंख्या भी इतनी नहीं
यूएस सेंसस ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 200 से अधिक राष्ट्रों में जनसंख्या के आधार पर शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं: भारत (1,41,93,16,933), चीन (1,40,71,81,209), अमेरिका (34,20,34,432), इंडोनेशिया (28,35,87,097), पाकिस्तान (25,70,47,044), नाइजीरिया (24,27,94,751), ब्राजील (22,13,59,387), बांग्लादेश (17,01,83,916), रूस (14,01,34,279) और मैक्सिको (13,17,41,347)। वहीं, महाकुंभ में अब तक आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 50 करोड़ पार कर चुकी है।

दूसरे शब्दों में, केवल भारत और चीन की जनसंख्या ही इससे अधिक है, जबकि अमेरिका, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, नाइजीरिया, ब्राजील, बांग्लादेश, रूस और मैक्सिको की जनसंख्या भी इससे कम है। यह प्रमाणित करता है कि महाकुंभ अब सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि सनातन धर्म के विराट स्वरूप का प्रतीक बन चुका है।

सीएम योगी की अपेक्षाओं से भी आगे बढ़ा श्रद्धालुओं का आंकड़ा

मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु-संतों, श्रद्धालुओं, कल्पवासियों और स्नानार्थियों का सैलाब अब उस स्तर से भी आगे निकल चुका है, जिसकी कल्पना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही की थी। सीएम योगी ने प्रारंभ में अनुमान जताया था कि इस बार का दिव्य और भव्य महाकुंभ श्रद्धालुओं की संख्या का नया कीर्तिमान स्थापित करेगा।

उन्होंने 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई थी, और यह आंकड़ा 11 फरवरी को ही पार हो गया। अब, 14 फरवरी तक यह संख्या 50 करोड़ के ऊपर पहुंच चुकी है, जबकि महाकुंभ के समापन में अभी 12 दिन बाकी हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आंकड़ा 55 से 60 करोड़ तक जा सकता है।

विभिन्न स्नान पर्वों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

महाकुंभ मेे इस बार अब तक के कुल स्नानार्थियों का विश्लेषण:

  • मौनी अमावस्या पर सर्वाधिक 8 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया।
  • मकर संक्रांति के अवसर पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया।
  • 30 जनवरी और 1 फरवरी को 2-2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया।
  • पौष पूर्णिमा पर 1.7 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।
  • बसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाई।
  • माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व पर भी 2 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन स्नान किया।

इस अभूतपूर्व सहभागिता ने एक बार फिर से यह सिद्ध कर दिया है कि महाकुंभ केवल भारत का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन है, जहां सनातन धर्म की विराटता और दिव्यता अपने चरम पर है।

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