Parakh Saxena की कलम से पढ़ें वास्तविक दशा क्या है और परिस्थितियों की दिशा क्या है..
व्यक्तिगत इच्छा नहीं है मगर जो समझ आ रहा है वो यही है कि छोटे स्तर पर युद्ध होने वाला है। भारत चाहे ना चाहे पाकिस्तान इस युद्ध के लिये उत्साही है।
पाकिस्तान का जन साधारण तो नहीं मगर सेना की हार्दिक इच्छा है ताकि वहाँ ये जो सेना विरोधी माहौल बना हुआ है वो देशभक्ति मे बदल जाए और जनता फिर से प्रो आर्मी हो जाए।
सिंधु नदी का पानी रोकना तो बहुत ही बड़ा निर्णय है, सिंधु नदी पाकिस्तान के लिये वही है जो भारत के लिये गंगा, ब्रह्मपुत्र और कावेरी है। पाकिस्तान का पंजाब तो पूरा ही सिंधु पर टिका है, बड़ी बात ये है कि चीन तक ने इसका विरोध नहीं किया।
यदि युद्ध होना ही है तो आवश्यक है कि मोदीजी उससे पहले टीवी पर आकर pok, सिंध और बलूचिस्तान के लोगो को संबोधित करें कि ये युद्ध पाकिस्तान के लोगो के नहीं बल्कि सेना के खिलाफ है।
अपील करनी ही होंगी क्योकि वहाँ के लोग खुद सेना के खिलाफ है, उन्हें ऐसा लगना ही नहीं चाहिए कि भारत पाकिस्तान से लड़ रहा है। उनके लिये ये उनकी आजादी की लड़ाई होनी चाहिए। भारत को विजय की सीमा भी निर्धारित करनी होंगी।
पाक अधिकृत कश्मीर को फिर से भारत मे लाना एक लक्ष्य बना सकते है। जैसे ही सेना गिलगीत पहुँचे युद्ध विराम करना होगा ताकि ये युद्ध गाजा और यूक्रेन की तरह ना खींचे।
इस युद्ध मे यह भी निर्धारित करना होगा कि पाकिस्तान की सेना इतनी कमजोर भी ना हो जाए कि न्यूक्लियर बम तालिबान को गवा बैठे, या फिर सिंध और बलूचिस्तान ही आजाद हो जाए। एक संगठित पाकिस्तान हमारे ज्यादा हित मे है।
मुसलमानो का हिसाब अलग है वे बटेंगे तो एक रहेंगे और एक रहेंगे तो कटेंगे। इसलिए हिंदुत्व का दर्शन उन पर फिट नहीं बैठता।
युद्ध यदि होना ही है और इन शर्तो पर हो तो एक आदर्श जीत भारत के भाग्य मे होंगी।
(परख सक्सेना)