(Poetry By Kalindi Trivedi: नारी तुम क्या हो?)
नारी तुम क्या हो _यह जानो
तुम मां,बहन और बेटी हो ,
तुम पत्नी, पुरुष की अर्धांगिनी ।
जीवन की धारा संग बहती,
तुम गंगा रजत तरंगिनि हो ।
तुम अपने आप को पहचानो
नारी तुम क्या हो यह जानो।
नारी तुम ममता की मूरत,
धरती पर ईश्वर की सूरत।
त्रिदेव खेले तेरे आंचल में,
तुम वह देवी अनसुईया हो ,
अपने को अबला मत मानो।
तुम सृष्टिकर्ता की पर्याय ,
तुम विष्णु हो, तुम शंकर हो।
तुम मूर्तरूप प्रलयंकर हो ,
महिषासुर मर्दानी दुर्गा हो ।
तुम अपनी शक्ति पहचानो।
नारी लज्जा हो, श्रद्धा हो
तुम क्षमा,शिवा व द्धात्रि हो।
तुम आदि शक्ति परमेश्वर की,
तुम दुर्गति निशानी दुर्गा हो।
नारी तुम क्या हो यह जानो,
तुम अपनी शक्ति पहचानो।
(कालिंदी त्रिवेदी)