Tuesday, October 21, 2025
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Poetry by Papistani Shaayar: ‘मैं भी काफिर, तू भी काफिर’

Poetry by Papistani Shaayar: पाकिस्तान के मशहूर शायर सलमान हैदर की एक कविता ‘मैं भी काफिर, तू भी काफिर’ पाकिस्तान में विवाद का विषय बनी हुई है..आप भी पढ़िये..

Poetry by Papistani Shaayar: पाकिस्तान के मशहूर शायर सलमान हैदर की एक कविता ‘मैं भी काफिर, तू भी काफिर’ इन दिनों चर्चा में है.. पाकिस्तान में इस कविता पर विवाद चल रहा है..

मैं भी काफिर, तू भी काफिर’

‘मैं भी काफिर तू भी काफिर,
मैं भी काफिर, तू भी काफिर
फूलों की खुशबू भी काफिर,
शब्दों का जादू भी काफिर
यह भी काफिर, वह भी काफिर,
फैज और मंटो भी काफिर
नूरजहां का गाना काफिर,
मैकडोनाल्ड का खाना काफिर
बर्गर काफिर, कोक भी काफिर,
हंसी गुनाह और जोक भी काफिर
तबला काफिर, ढोल भी काफिर,
प्यार भरे दो बोल भी काफिर
सुर भी काफिर, ताल भी काफिर,
भांगड़ा, नाच, धमाल भी काफिर
दादरा, ठुमरी, भैरवी काफिर,
काफी और खयाल भी काफिर
वारिस शाह की हीर भी काफिर,
चाहत की जंजीर भी काफिर
जिंदा-मुर्दा पीर भी काफिर,
भेंट नियाज की खीर भी काफिर
बेटे का बस्ता भी काफिर,
बेटी की गुड़िया भी काफिर
हंसना-रोना कुफ्र का सौदा,
खुशियां काफिर, गम भी काफिर
जींस और गिटार भी काफिर,
टखनों से नीचे बांधो तो
अपनी यह सलवार भी काफिर,
कला और कलाकार भी काफिर
जो मेरी धमकी न छापे,
वह सारे अखबार भी काफिर
यूनिवर्सिटी के अंदर काफिर,
डार्विन का बंदर भी काफिर
फ्रायड पढ़ाने वाले काफिर,
मार्क्स के सब मतवाले काफिर
मेले-ठेले कुफ्र का धंधा,
गाने-बाजे सारे फंदा
मंदिर में तो बुत होता है,
मस्जिद का भी हाल बुरा है
कुछ मस्जिद के बाहर काफिर,
कुछ मस्जिद के अंदर काफिर
मुस्लिम देश में मुस्लिम काफिर,
गैर मुस्लिम तो हैं ही काफिर
काफिर काफिर मैं भी काफिर,
काफिर-काफिर तू भी काफिर,
काफिर काफिर हम दोनों काफिर,
काफिर काफिर सारा जहाँ ही काफिर!

(सलमान हैदर)

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