(POETRY)
शऊर-ए-सजदा नहीं है मुझको
तू मेरे सजदों की लाज रखना
ये सर तेरे आस्ताँ से पहले
किसी के आगे झुका नहीं है !!
(रफीक राज़)
आस्ताँ – दरवाजा
शऊर – मैनर्स
सजदा – सर झुकाना
Poetry; पढ़िए चंद खूबसूरत पंक्तियाँ जो याद रह जाएँगीं..
आस्ताँ – दरवाजा
शऊर – मैनर्स
सजदा – सर झुकाना