केरल की राजनीति और समाज में गहरी बहस छेड़ने वाले एक ऐतिहासिक कदम में, केरल पुलिस के पूर्व महानिदेशक (डीजीपी) जैकब थॉमस (सेवानिवृत्त आईपीएस: 1985: केएल) ने घोषणा की है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में शामिल हो रहे हैं। यह निर्णय वरिष्ठ नौकरशाहों के पारंपरिक सेवानिवृत्ति-पश्चात रास्तों से बिल्कुल अलग है और केरल की राजनीतिक परंपरा में एक नया उदाहरण स्थापित करता है।
RSS पथसंचलन में गणवेश धारण कर होंगे शामिल
जैकब थॉमस अपनी नई भूमिका की औपचारिक शुरुआत 1 अक्टूबर 2025 को करेंगे। इस दिन वे एर्नाकुलम जिले के पल्लिक्कारा में होने वाले आरएसएस पथसंचलन (मार्च) में भाग लेंगे। इस दौरान वे आरएसएस का आधिकारिक गणवेश, जिसे गणवेशम कहा जाता है, पहनेंगे। यह कदम प्रतीकात्मक रूप से उनके संगठन के मूल्यों और मिशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाएगा।
RSS से गहरा और पुराना जुड़ाव
अपने फैसले की जड़ों को उजागर करते हुए थॉमस ने कहा कि आरएसएस से उनका जुड़ाव दशकों पुराना है, जो उनके भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में आने से भी पहले का है। उन्होंने आरएसएस के अनुशासन, निस्वार्थ सेवा और राष्ट्रभक्ति की गहरी प्रशंसा की और बताया कि वे संगठन के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें सरसंघचालक मोहन भागवत भी शामिल हैं, से लंबे समय से जुड़े रहे हैं।
उन्होंने कहा:
“मेरा आरएसएस से दशकों पुराना संबंध है। स्वयंसेवकों का अनुशासन और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा ही मुझे आरएसएस की ओर खींच लाया। ये वास्तव में देशभक्त हैं और मैंने आज तक किसी आरएसएस स्वयंसेवक को व्यक्तिगत लाभ के लिए सोचते नहीं देखा। मुझे लगता है कि दुनिया में कोई दूसरा संगठन इतना समर्पण और निष्ठा राष्ट्र के प्रति नहीं दिखाता।”
यह बयान केवल पेशेवर सम्मान ही नहीं, बल्कि आरएसएस के सेवा, अनुशासन और राष्ट्रवाद के सिद्धांतों के साथ गहरी वैचारिक एकजुटता को भी दर्शाता है।
आईपीएस कार्यकाल से ही जुड़ाव की निरंतरता
आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने लंबे करियर के दौरान भी, जैकब थॉमस ने आरएसएस से एक सूक्ष्म लेकिन अर्थपूर्ण जुड़ाव बनाए रखा, भले ही वे केरल में शीर्ष पुलिस पद पर कार्यरत रहे। सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक प्रचारक बनने का उनका फैसला इस लंबे संबंध का स्वाभाविक विस्तार माना जा रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया:
“मैंने अपनी इच्छा व्यक्त की है कि मैं आरएसएस का पूर्णकालिक प्रचारक बनकर काम करना चाहता हूं। अब संगठन पर निर्भर है कि वे मेरी सेवाओं का किस तरह उपयोग करना चाहते हैं।”
केरल के ईसाई समुदाय तक पहुंचेंगे राष्ट्रवादी
जैकब थॉमस का आरएसएस से जुड़ना ऐसे समय में हुआ है जब आरएसएस और भाजपा, केरल के ईसाई समुदाय में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। केरल लंबे समय से वामपंथी और उदारवादी राजनीति का गढ़ रहा है, जहां कांग्रेस और सीपीएम का वर्चस्व रहा है। भाजपा, जो देश के अन्य हिस्सों में मजबूती से आगे बढ़ी है, केरल में अभी तक बड़ा आधार नहीं बना पाई है। ऐसे में जैकब थॉमस जैसे सम्मानित ईसाई व्यक्तित्व का साथ मिलना, आरएसएस को अपनी पारंपरिक सीमा से आगे बढ़ने का अवसर देता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
थॉमस की घोषणा ने पहले ही केरल के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस छेड़ दी है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम केरल की राजनीति को नया आकार देने की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। वहीं समर्थकों का मानना है कि यह आरएसएस की विचारधारा—राष्ट्रवाद, अनुशासन और निस्वार्थ सेवा—की बढ़ती स्वीकार्यता का सबूत है।
उनका पुलिस सेवा से वैचारिक सक्रियता की ओर यह कदम भारत में उभरती उस व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जिसमें सेवानिवृत्त अधिकारी और नौकरशाह सक्रिय राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों का हिस्सा बन रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि उनकी मौजूदगी से केरल में विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के बीच आरएसएस की साख और पहुँच मजबूत हो सकती है।
पुलिस अधिकारी के रूप में स्वच्छ छवि
अपने पुलिस करियर के दौरान जैकब थॉमस ईमानदारी, निडरता और कर्तव्य के प्रति अडिग समर्पण के लिए व्यापक रूप से सम्मानित रहे। भ्रष्टाचार-विरोधी रुख और केरल पुलिस व्यवस्था में सुधार लाने के उनके प्रयास उल्लेखनीय रहे। सार्वजनिक मंचों पर उनकी बेबाक और साहसी शैली ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। कई लोगों के लिए आरएसएस में शामिल होने का उनका निर्णय इस बात का प्रतीक है कि वे विवाद की परवाह किए बिना अपने व्यक्तिगत विश्वास और राष्ट्रप्रेम को प्राथमिकता देने के लिए तैयार हैं।
(प्रस्तुति -त्रिपाठी पारिजात)