Sanathan Dharm: इस जिज्ञासापूर्ण प्रश्न का उत्तर अनिल वत्स जी द्वारा दिया गया है जो यहां लेख रूप में प्रस्तुत है.
देखिये ये पंच तत्त्व smallest entity हैं ।
और यह जो पंचदेव हैं , यह बहुत विशाल तत्त्व हैं ।
एक तत्त्व के अंदर अनंतानंत पंचतत्त्व समाहित हो सकते हैं ।
लेकिन आजकल कुछ अज्ञानियों ने यह प्रचलित कर दिया कि ये पंच देव , पंच तत्त्व हैं ।
अरे प्रकृति होती है एक ।
प्रकृति में जब क्षोभ उत्पन्न होता है तो महतत्त्व उत्पन्न होता है ।
महतत्त्व के तमस में जब विकार होता है तो वैकारिक , तैजस और तामस तत्त्व निकलते हैं ।
इसी तामस अहंकार में विकार उत्पन्न होता है तो आकाश ।
आकाश में क्षोभ से वायु की उत्पत्ति
वायु में क्षोभ से तेज की उत्पत्ति
तेज में विकार या क्षोभ से जल की उत्पत्ति
जल में विकार या क्षोभ से पृथ्वी की उत्पत्ति ।
स्तर देख रहे हैं ??
पृथ्वी से 10 गुना जल
जल से 10 गुना अग्नि
अग्नि से 10 गुना वायु
वायु से 10 गुना आकाश
आकाश से 10 गुना अहंकार
अहंकार से 10 गुना महतत्त्व
महतत्त्व से 10 गुना मूल प्रकृति ।
यह दशांगुलन्याय कहलाता है ।
और प्रकृति से परे हैं ये पांचों तत्त्व जिन्हें हम पंच देव कहते हैं ।
तो ये पंच देव क्या हैं ???
ये पंच देव वह fundamental forces और energy हैं या तत्त्व हैं जो इस ब्रह्मांड को संचालित करने हेतु क्रियाशील हैं ।
आप जानते हैं कि 5 Fundamental Energies कौन से हैं ब्रह्मांड को सुव्यवस्थित किये हुए हैं ???
1. Nuclear Energy
2. Thermal Energy
3. Mechanical Energy
4. Chemical Energy
5. Electrical Energy
ऐसे ही पंच देव हैं ।
1. विष्णु तत्त्व
2. सूर्य तत्त्व
3. दुर्गा या शक्ति तत्त्व
4. गणेश तत्त्व
5. शिव तत्त्व
इनको हमने अपने अनुसार रूपांतरित किया हुआ है ।
तो यह वह पंच शक्ति हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को सुव्यस्थित और क्रियाशील बनाये हुए हैं ।
अतः इन तत्त्वों को हम जीव भूल न जायें जिसके कारण इनकी महत्त्ता को प्रतिपादित करने हेतु ही इन शक्तियों का निरूपण पंचदेव के माध्यम से किया गया है ।
तो कभी भी पंच तत्त्वों को पंच देवों से कभी न सम्बद्ध करें ।
जो करे, उसको मूर्ख समझ कर छोड़ दीजिए ।
ये तत्त्व कई कई गुना इन पञ्च तत्वों से परे हैं ।
(आचार्य अनिल वत्स के सोशल मीडिया पृष्ठ से)