Sunday, December 14, 2025
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Speak Sanskrit: ३९वें वर्द्धमान महावीर स्मृति अन्तर्जालीय संस्कृत शिक्षण-सम्भाषण शिविर का श्रीगणेश

Speak Sanskrit: डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा के नेतृत्व में और समर्पित अन्य सज्जनों के सहयोग से निरंतर आगे बढ़ रहा है देवभाषा संस्कृत के संभाषण का अश्वमेध रथ..

Speak Sanskrit: डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा के नेतृत्व में और समर्पित अन्य सज्जनों के सहयोग से निरंतर आगे बढ़ रहा है देवभाषा संस्कृत संभाषण के शिक्षण का अश्वमेध रथ..

पटना 12 दिसंबर। वर्द्धमान महावीर का जीवन त्याग, तपस्या, अहिंसा और आत्मसंयम से परिपूर्ण था। उन्होंने तीस वर्ष की आयु में राजसी जीवन त्यागकर कठोर तपस्या के पश्चात ज्ञान प्राप्त किया तथा आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। वर्द्धमान महावीर ने मानव के कल्याण के लिए पंचशील सिद्धांत दिया..

उपरोक्त समस्त बातें ३९वां वर्द्धमान महावीर स्मृति अन्तर्जालीय अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण शिविर के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कही।

अपने उद्घाटन भाषण में माननीय सदस्य (प्रशासकीय) राज्यलोक सेवा न्यायाधीकरण उत्तर प्रदेश एवं प्रधान संरक्षक आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान डॉ अनिल कुमार सिंह ने कहा कि वर्द्धमान महावीर ने अहिंसा परमो धर्म:का संदेश दिया जिसमें विचार, वचन और कर्म में अहिंसा को सर्वोच्च नैतिक गुण बतलाया।

मुख्यातिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के सार्वभौमसंस्कृतप्रचारसंस्थान के समर्पित सदस्य साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ अरविन्द कुमार तिवारी ने कहा कि विहार संस्कृत संजीवन समाज एवम् आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान संस्कृत भाषा को जन -जन की भाषा हो, इसके लिए सराहनीय योगदान कर रहा है। उन्होंने वर्द्धमान महावीर के पंचशील सिद्धांत की विस्तृत जानकारी दी।

मुख्यवक्ता प्रो रागिनी वर्मा संस्कृत विभागाध्यक्ष गंगा देवी महिला महाविद्यालय पटना, अभियान के उपाध्यक्ष श्री उग्र नारायण झा एवं डॉ लीना चौहान,जगत नारायण लाल महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ अवन्तिका कुमारी, डॉ नीरा कुमारी, श्री महेश मिश्र, डॉ दीप्ति कुमारी, रामनाथ पाण्डेय, राहुल कुमार, मुरलीधर शुक्ल, डॉ रागनी कुमारी,आयुष नन्दन सहित अनेक वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए तथा महावीर के उपदेशों एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार पर बल दिया।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ लीना चौहान एवं ऐक्य मन्त्र डॉ नीरा कुमारी प्रस्तुत किया।

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