Speak Sanskrit: देवभाषा संस्कृत की स्थापना व उसे वार्तालाप की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के वृहद अभियान की दिशा में निरंतर 37वाँ प्रयास प्रारंभ हुआ पटना में 12 अक्टूबर को..
माता महालक्ष्मी के स्मरण मात्र से मानव धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। महालक्ष्मी धन, समृद्धि तथा प्रचुरता की देवी मानी जाती है। अपने भक्तों को सौभाग्य और सफलता का आशीर्वाद देती है-ये सभी बातें आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने भगवती महालक्ष्मी स्मृति अन्तर्जालीय अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण के निरन्तर 37 वें शिविर के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही ।
अपने उद्घाटन भाषण में अभियान के प्रधान संरक्षक एवम् उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व गृह सचिव डॉ अनिल कुमार सिंह ने कहा कि मााता महालक्ष्मी सभी का कल्याण करनेवाली, सिद्धि, बुद्धि और मोक्ष देनेवाली है। दीपावली के शुभावसर पर महालक्ष्मी की स्मृति में संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण शिविर का आयोजन अत्यावश्यक है।
पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता उग्र नारायण झा ने कहा कि संस्कृत भाषा में अपने विचारों को व्यक्त करना गर्व का विषय है।
इस अवसर पर विशिष्टातिथि डॉ अनिल चौबे, गंगा देवी महिला महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की वरीय सहायक आचार्या डॉ बिधु बाला, संस्कृत महाविद्यालय फतुहा की सहायक आचार्या डॉ नीरा कुमारी, आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा डॉ लीना चौहान, डॉ रागनी कुमारी, दिल्ली प्रांत के सह संयोजक मनीष कुमार, झारखंड प्रांत के उपाध्यक्ष डॉ महेश केवट, बिहार प्रांत के प्रचार सचिव मुरली धर शुक्ल, विहार संस्कृत संजीवन समाज की कार्यालय सचिव श्रद्धा कुमारी, मध्य प्रदेश प्रान्त की सह संयोजिका तारा विश्वकर्मा आदि वक्ताओं ने भी संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण की आवश्यकता पर विस्तार से जानकारी दी। मधु
कुमारी एवं दिल्ली से आयुष रंजन भी उपस्थित थे। वैदिक मंगलाचरण उग्र नारायण झा, स्वागत भाषण डॉ लीना चौहान तथा धन्यवाद ज्ञापन मनीष कुमार ने किया।