Sweet Memories: आइये, आज याद करते हैं आज से करीब पैंतालीस साल पहले के वो प्यारे दिन जब घर गुलार हुआ करते थे रेडियो के गानों से..
किसी ज़माने में वॉल्व वाले रेडियो हुआ करते थे। उन्हें गरम होने में वक्त लगता। और फिर किसी अजूबे की तरह वो स्टार्ट हो जाते। कैसी भरी–भरी और शानदार आवाज़ आती थी उनमें। शॉर्ट वेव पर रेडियो सीलोन की आवाज़ गूंजती, “ये श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन का विदेश विभाग है”…और फिर बह उठती पुराने गानों की धारा। देश के कोने कोने में लोग सुनते और उनकी नसों में सुकून घुलता।
विविध भारती जीवन की अनिवार्य उपस्थिति था। “आकाशवाणी का ये पंचरंगी कार्यक्रम है विविध भारती”। और फिर कभी हवामहल तो कभी संगीत सरिता और मनचाहे गीत गूंजते। लोगों को लगता, कितनी सुरीली है ये दुनिया। नाम पढ़े जाते, भाटापारा, झुमरी तिलैया, इटारसी, मजनू का टीला। अद्भुत दुनिया थी ये हमारे बचपन की। गायक, गीतकारों और संगीतकारों से परिचय का सिलसिला यहीं से शुरू हुआ।
दोपहरों को ऑल इंडिया रेडियो की उर्दू सर्विस गुलज़ार रहती। हम नए नए उर्दू शब्द सीखते। अज़रा आपा की आवाज़ पर उनका काल्पनिक चेहरा फिट करते। और जब “हालात ए हाज़रा का तफ़सरा” आता तो खीझ उठते कि गाने क्यों रोक दिए। उर्दू सर्विस ने हमारे अवचेतन मन में ज़बान गढ़ी। ये तब हमें अहसास तक नहीं था।
देर रात गूंजता नेशनल चैनल। जो आधी रात के बाद तक साथ निभाता। और हम पढ़ पाते। रेडियो पर हॉकी और क्रिकेट की कमेंट्री आती। ट्रांजिस्टर के ज़माने में सड़क चलते लोग पूछते, “भाई साहब स्कोर क्या हुआ है”?
और गणतंत्र दिवस पास जसदेव सिंह की आवाज़ में आंखों देखा हाल, कितने सटीक शब्दों में तस्वीर गढ़ते थे वो। बीबीसी सुबह सुबह सुनते “सुबह सवेरे”। दुनिया भर की ख़बर मिलती। Pervaiz Alam और Achala Sharma और Qurban Ali हमारे सितारे होते।
रेडियो गुज़रे ज़माने की ही उपस्थिति नहीं है। रेडियो आज भी आपके आसपास मौजूद है। वो सिर्फ गाड़ी में अनिवार्य उपस्थिति नहीं है। सिर्फ़ एक क़दम आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। विविध भारती और आकाशवाणी के सभी चैनल आपको एंड्रॉयड और IOS पर NEWS ON AIR नामक एप के ज़रिए उपलब्ध हैं। यहां तक कि शास्त्रीय संगीत को समर्पित चैनल रागम भी वहां उपलब्ध है। बहुत सारे ऐप हैं रेडियो सुनने के लिए। दिक्कत ये है कि आपकी निगाहें reels पर टिकी हैं। आप स्क्रॉल कर रहे हैं। यक़ीन मानिए रेडियो सुनेंगे तो आपकी जिंदगी में वक्त भी ज़्यादा होगा। आप पढ़ भी सकेंगे। टहल सकेंगे। बेहतर जी पाएंगे।
आज विश्व रेडियो दिवस है और इस बार की थीम है “रेडियो और जलवायु परिवर्तन”। रेडियो आपको लगातार चेता रहा है कि ध्रुवों की बर्फ़ तेजी से पिघल रही है। धरती का तापमान बढ़ रहा है। यही हाल रहा तो तटीय शहर डूबने के कगार पर आ जाएंगे। आखिरी मौका है जलवायु परिवर्तन को रोकने का। ये बातें रील आपको नहीं बताएगी। बहुधा मनोरंजन और ब्रेकिंग न्यूज परोस रहा टीवी भी नहीं।
(अज्ञातवीर)