Uttarakhand: देहरादून के कई गांवों में जनसंख्या समीकरण में बड़ा बदलाव, मुस्लिम आबादी हुई बहुसंख्यक, हिंदू जनसंख्या में गिरावट..
देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सीमांत क्षेत्र पछुवा दून से एक हैरान करने वाली जनगणना-संबंधी जानकारी सामने आई है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, इस इलाके के 28 गांवों में अब मुस्लिम समुदाय की आबादी हिंदू समुदाय से अधिक हो गई है।
रिपोर्ट में उजागर हुआ जनसंख्या असंतुलन
देहरादून जिले के विकासनगर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले पछुवा दून क्षेत्र में जनसंख्या का संतुलन पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बदला है। जो गांव कभी हिंदू बहुल हुआ करते थे, अब उनमें मुस्लिम आबादी का प्रतिशत बढ़कर प्रमुख हो गया है। यह बदलाव प्रशासन और स्थानीय संगठनों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
पंचायत रिकॉर्ड में हेराफेरी के आरोप
जांच में यह खुलासा हुआ है कि कुछ ग्राम पंचायतों में पद पर बने रहने के लिए कुछ मुस्लिम प्रधानों ने अधिकारियों की मिलीभगत से अपने रिश्तेदारों के नाम परिवार रजिस्टरों में दर्ज करा दिए। नियमों के अनुसार, जिन बेटियों की शादी राज्य से बाहर हो जाती है, उनके नाम रजिस्टर से हटने चाहिए, लेकिन यहाँ न केवल नाम बरकरार रखे गए बल्कि उनके पतियों और बच्चों के नाम भी जोड़ दिए गए। इस प्रक्रिया से कई परिवारों को सरकारी सुविधाएँ, राशन कार्ड, आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसी पहचानें भी मिल गईं।
फर्जी दस्तावेज़ों का मामला भी उजागर
अगस्त में एक कॉमन सर्विस सेंटर में फर्जी प्रमाणपत्र बनाए जाने का मामला सामने आया था। जांच से पता चला कि पंचायत चुनावों में मतदाता संख्या बढ़ाने के लिए बाहरी व्यक्तियों के नाम भी स्थानीय रजिस्टरों में जोड़े गए थे। यह प्रवृत्ति केवल पछुवा दून तक सीमित नहीं रही, बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी मुस्लिम आबादी में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है।
गांववार जनसंख्या का बदला संतुलन
नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि कई गांवों में पिछले एक दशक में जनसंख्या का अनुपात पूरी तरह बदल गया है:
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ढकरानी: 2011 में 60% हिंदू थे, अब घटकर 40% रह गए
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ढलीपुर: पहले 75% हिंदू, अब लगभग बराबर अनुपात
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कुंजा: पहले 65% हिंदू, अब दोनों समुदाय बराबर
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कुंजाग्रांट: पहले 30% हिंदू, अब मात्र 23%
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कुल्हाल: पहले 20%, अब 15%
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धर्मावाला: पहले 70%, अब 50%
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तिमली: पहले 25%, अब सिर्फ 5%
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बैरागीवाला: पहले 60%, अब बराबर
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जमनीपुर: पहले 80%, अब 70%
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केदारावाला: पहले 55%, अब 30%
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बुलाकीवाला: पहले 88%, अब 75%
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मेहूवाला खालसा: पहले 75%, अब 55%
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जीवनगढ़: पहले 65%, अब 50%
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नवाबगढ़: पहले 60%, अब 44%
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जसोवाला: पहले 65%, अब 55%
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माजरी: पहले 65%, अब 30%
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आमवाला (पौंधा): पहले 45%, अब 40%
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जाटोंवाला: पहले 60%, अब केवल 20%
प्रशासनिक सक्रियता और आगे की दिशा
इन आँकड़ों से साफ झलकता है कि पछुवा दून क्षेत्र में जनसंख्या संतुलन का मुद्दा गंभीर रूप ले चुका है। प्रशासनिक तंत्र और खुफिया विभाग ने अब इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है। राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ा है कि वह स्थिति की समीक्षा कर ठोस नीति बनाए, जिससे जनसंख्या और सामाजिक संतुलन दोनों बनाए रखे जा सकें।
(प्रस्तुति -त्रिपाठी पारिजात)