Vinod Mehra: पर्दे के चहेते हीरो जिनकी असली ज़िंदगी थी दर्द और तन्हाई से भरी..लेकिन उनका किरदार पर्दे पर दिल जीत लेता था देखने वालों का..
आज बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता विनोद मेहरा की जयंती है — वह सितारा जिसने अपनी मोहक मुस्कान और सादगी से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, लेकिन जिसकी निजी ज़िंदगी में एक के बाद एक दर्दनाक मोड़ आते गए। उनकी कहानी सिर्फ एक फिल्मी हीरो की नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान की है जिसने शोहरत तो पाई, मगर सुकून नहीं।
जन्म और शुरुआती करियर
13 फरवरी 1945 को जन्मे विनोद मेहरा ने 30 अक्टूबर 1990 को मात्र 45 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। फिल्मी दुनिया में उन्होंने कदम रखा जब वे 26 साल के थे। वर्ष 1971 में आई फिल्म ‘एक थी रीता’ से उन्होंने बतौर हीरो डेब्यू किया था। तनुजा के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने खूब सराहा और फिल्म सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद विनोद मेहरा का करियर रफ्तार पकड़ता गया और वे 70 के दशक के सबसे लोकप्रिय और रोमांटिक अभिनेताओं में गिने जाने लगे।
‘चॉकलेट बॉय’ की इमेज के पीछे छिपा अकेलापन
फिल्म इंडस्ट्री में विनोद मेहरा की पहचान एक चॉकलेट बॉय के रूप में थी — सौम्य, आकर्षक और रोमांटिक। लड़कियां उनकी मुस्कान पर फ़िदा थीं और दर्शक उनकी सहज अदाकारी से जुड़ाव महसूस करते थे। लेकिन कैमरे की रोशनी के पीछे उनकी ज़िंदगी उतनी खुशनुमा नहीं थी। उन्होंने अपने निजी जीवन में बार-बार दिल टूटने का दर्द झेला। शोहरत और सफलता के बीच भी वह सच्चे प्यार की तलाश में भटकते रहे।
तीन शादियां और अधूरी मोहब्बतें
विनोद मेहरा की तीन शादियां हुईं। उनकी पहली शादी मीना ब्रोका से हुई थी, जो एक अरेंज मैरिज थी। यह रिश्ता ज़्यादा समय तक नहीं टिक सका क्योंकि उनकी ज़िंदगी में अभिनेत्री बिंदिया गोस्वामी की एंट्री हो चुकी थी। दोनों की प्रेमकहानी ने इंडस्ट्री में खूब चर्चा बटोरी — यह रिश्ता मानो किसी फिल्मी कहानी जैसा था। लेकिन जैसे किसी स्क्रिप्ट का ट्रैजिक क्लाइमेक्स होता है, वैसे ही बिंदिया ने उन्हें छोड़कर निर्देशक जेपी दत्ता से शादी कर ली।
इस धोखे ने विनोद मेहरा को अंदर तक तोड़ दिया। इसी दौरान उन्हें दिल की बीमारी ने भी घेर लिया और उनका करियर भी धीरे-धीरे ढलान पर आने लगा।
रेखा से जुड़ा विवादित रिश्ता
विनोद मेहरा और अभिनेत्री रेखा के रिश्ते की चर्चा भी लंबे समय तक होती रही। दोनों की नज़दीकियों ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। कहा जाता है कि उनका रिश्ता काफी गहरा था, लेकिन यह भी कड़वाहट में खत्म हो गया। दोनों के बीच की दूरी बढ़ती गई और अंततः यह रिश्ता टूट गया।
किरण के साथ राहत फिर किस्मत ने छीना सुकून
रेखा से अलग होने के बाद विनोद मेहरा की ज़िंदगी में किरण आईं — जो केन्या के एक उद्योगपति की बेटी थीं। इस रिश्ते में विनोद को वह अपनापन मिला जिसकी उन्हें बरसों से तलाश थी। दोनों ने शादी की और दो बच्चों – रोहन और सोनिया – के माता-पिता बने। ऐसा लगा जैसे आखिरकार उनकी ज़िंदगी पटरी पर लौट आई है, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
1990 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से विनोद मेहरा का निधन हो गया। उनके जाने के बाद किरण अपने दोनों बच्चों को लेकर केन्या लौट गईं।
अधूरी कहानी का अमर कलाकार
विनोद मेहरा की कहानी एक ऐसी गाथा है जिसमें शोहरत है, प्यार है, दर्द है और अधूरापन भी। उन्होंने पर्दे पर मुस्कुराते हुए किरदार निभाए, लेकिन असल ज़िंदगी में वही मुस्कान अक्सर उनके दर्द को छिपाती रही।
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि ग्लैमर की चमक के पीछे इंसान की भावनाएं कितनी गहरी और नाजुक हो सकती हैं। आज उनकी जयंती पर उन्हें याद करना सिर्फ एक अभिनेता को श्रद्धांजलि देना नहीं, बल्कि उस इंसान को याद करना है जिसने ज़िंदगी की हर चोट को मुस्कान से ढक लिया था।
(प्रस्तुति -अर्चना शेरी)