Devendra Sikarwar writes: भारत के पड़ोस में जो कुछ चल रहा है उसके बाद ‘जागृत’ व्यक्तियों में ‘एक ही विचार दो तरह से’ चल रहा है..क्या नेपाल के बाद अब भारत?
इन दो में से एक वर्ग को ‘आशंका’ है कि कहीं भारत में भी यह सब शुरू न हो जाये।
दूसरे वर्ग को ‘उम्मीद’ है कि यह भारत में भी शुरू हो जाये।
पहले वर्ग में वे लोग हैं जो इस देश को, राष्ट्र व इसकी मूल आत्मा ‘हिंदुत्व’ को प्रेम करते हैं व उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए चिंतन करते हैं।
दूसरे वर्ग में आते हैं मुस्लिम, कांग्रेसी, जातिवादी पार्टियों के मानसिक बंदी और हिंदू नामधारी तथाकथित सैक्युलर जिनकी सत्ता की हवस और मोदी से घृणा इस स्तर की है कि मोदी को हटाने के लिए देश अगर कल जलता है तो आज जल जाये।
राहुल गांधी, अखिलेश, तेजस्वी, केजरीवाल, स्टालिन, उद्धव जैसे राजनैतिक गिद्ध, रविश कुमार जैसे कुंठित पत्रकार और कई सैक्युलर बुद्धिजीवी बड़ी व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रहे हैं कि भारत में भी ऐसी अराजकता फैले तो उन्हें भी सत्ता का स्वाद चखने का मौका मिलेगा।
स्पष्ट है कि अब यह न राजनैतिक लड़ाई है और न ही विचारधारा का संघर्ष बल्कि यह शुद्ध रुप से देशभक्तों और देशद्रोहियों के बीच संघर्ष है जिसमें अगर हिंदुत्ववादी हारे तो भारत का विखंडन और उसका इस्लामीकरण तय है।
लेकिन ऐसा होगा नहीं और उसके दो कारण हैं —
1)मुस्लिम युवाओं और राजनैतिक दलों विशेषतः सपा और राजद के आपराधिक वृत्ति के युवाओं के छोड़ दें तो आंदोलन की रीढ़ अर्थात मध्यमवर्ग का अधिकांश युवा मोदी समर्थक ही है।
2)भारत की सेना पूरी तरह देशभक्त है। उसके लिए राष्ट्र प्रथम है और वह ऐसे किसी भी प्रयास को कुचलने में हिचकेगी नहीं।
लेकिन हम एक पल को मान लें कि ऐसा हो सकता है तो परिदृश्य क्या होगा।
तेजस्वी यादव और मोमता बनर्जी की धमकी के चलते अभी निकट में सबसे संवेदनशील क्षेत्र बिहार व बंगाल हैं और अगर कोई चिंगारी सम्भव है तो यहीं से संभव है।
उदाहरण के लिए हम मान लेते हैं कि बिहार में भाजपा नेतृत्व में एन डी ए चुनाव जीत जाता है तो राहुल और तेजस्वी परिणामों को स्वीकार करने के स्थान पर चुनाव् को अवैध बताते हुए हिंसा शुरू कर सकते हैं।
मुस्लिम आतंकवादी तुरंत इन पार्टियों की भीड़ में शामिल होकर हिंसा को बढ़ा सकते हैं जो शीघ्र ही बंगाल, असम और पश्चिमी उत्तरप्रदेश में फैल सकती है।
ब्रेकिंग इंडिया फोर्सज भी सक्रिय होकर कश्मीर, पंजाब, पूर्वोत्तर, महाराष्ट्र और केरल में अराजकता उत्पन्न करने का प्रयास कर सकता है।
द हिंदू जैसे अखबार और रविश कुमार जैसे पत्रकार भी आग में घी डालेंगे।
लेकिन विश्वास रखिये इन सारी राष्ट्रद्रोही कार्यवाहियों को तुरंत कुचला ही नहीं जायेगा बल्कि ये लोग मोदीजी को वह अवसर भी उपलब्ध करा देंगे, जब राजनीति पर कुंडली मारकर बैठे इन सारे देशद्रोही तत्वों पर कठोर कार्यवाही कर इनके वर्चस्व को समाप्त किया जा सकेगा।
-पहली कार्यवाही पुलिस की होगी।
-दूसरे चरण में अर्धसैनिक बल उतरेंगे।
तीसरे चरण की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी क्योंकि भाजपा कोई राजनैतिक पार्टी मात्र नहीं है बल्कि वह ऐसे राष्ट्रभक्तों के कंधों पर खड़ी है जो खाकी पेंट व श्वेत कमीज में किसी भी राष्ट्रीय आपदा में सहसा प्रकट होते हैं और संकट का निवारण कर बिना किसी पुरस्कार की अपेक्षा किये फिर समाज में घुल मिल जाते हैं।
जिन्हें पता न हो उन्हें बता दूँ कि कश्मीर तो 1947 में ही हाथ से निकल गया होता अगर श्रीनगर एयर फील्ड को संघ के स्वयं सेवकों ने प्राणों को दांव पर लगाकर भारतीय सेना के उतरने लायक न बनाया होता।
-तो भारत में नेपाल जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका रखने वाले आश्वस्त रहें और..
-भारत में नेपाल जैसे स्थिति पैदा करने की आशा रखने वाले सावधान हो जाएँ,
कि न तो भारत, बांग्लादेश या नेपाल है और न मोदी, शेख हसीना या ओली हैं।
मोदी के पीछे खड़े हैं हजारों देशभक्त युवा और खाकी पेंट, सफेद कमीज और काली टोपी पहने, तेल पिलाये लट्ठ को हाथ में लिए संघ के स्वयंसेवक।
(देवेन्द्र सिकरवार)