Indian Economy: चौंकिए मत, साल 2031 तक भारत बनने जा रहा है 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था- यह रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट आंकड़ों पर आधारित है..
7 Trillion Dollars’ Indian Economy: ये चौंकाने वाली नहीं बल्कि वास्तविकता वाली रिपोर्ट है जो बताती है कि अब पांच ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य छोटा हो गया है. भारत विराट लक्ष्य की दिशा में बढ़ रहा है..
आज की तारीख में हम अमेरिका, चीन, जर्मनी, और जापान के पीछे पांचवें स्थान पर 3.94 ट्रिलियन डॉलर्स की अर्थव्यवस्था वाला देश बन कर खड़े हैं. अब पांच ट्रिलियन डॉलर्स का लक्ष्य बहुत दूर नहीं है. वर्ष 2031 भारत की प्रतीक्षा में है जहां वह हम सभी को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की बधाई देने वाला है.
हाल ही में सामने आई ईटी-क्रिसिल इंडिया प्रोग्रेस रिपोर्ट ने भारत विरोधियों के कलेजे पर सांप लौटा दिया है. रिपोर्ट ने ये खुशखबरी देने के अलावा ये भी कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का प्रभाव भी राष्ट्र के विकास पर दिखाई देना चाहिए.
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार शानदार रूप लेने जा रहा है और देशवासियों को अब मात्र सात वर्ष की प्रतीक्षा और करनी है. वर्ष 2031 तक हमारा राष्ट्र 7 ट्रिलियन डॉलर की जानदार इकोनॉमी वाला देश बन जाएगा. हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके होंगे.
औसत वार्षिक वृद्धि दर साढ़े छह प्रतिशत के पार
सात साल बाद भारत की जीडीपी की औसत वार्षिक वृद्धि दर साढ़े छह प्रतिशत को पार कर जायेगी और 6.7 प्रतिशत हो जायेगी. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.
पूंजीगत खर्च & उत्पादकता में बढ़ोत्तरी का असर
रिपोर्ट आगे बताती है कि वित्त वर्ष 2025 से लेकर वित्त वर्ष 2031 तक की वार्षिक वृद्धि दर कोरोना महामारी से पहले के दशक की औसत विकास दर 6.6 प्रतिशत के जैसी ही हो जायेगी. इस असाधारण बढ़त का कारण पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होना है.
विकास दर 6.8 प्रतिशत – अनुमान
रिपोर्ट यह अनुमान भी जताती है कि वर्तमान वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसका कारण ब्याज दरों का उच्च स्तर पर होना और सख्त लेंडिंग नियमों का कार्यशील होना है. इससे शहरी मांग पर प्रभाव पड़ा है.
महंगाई दर 4.5 प्रतिशत – अनुमान
ईटी-क्रिसिल इंडिया प्रोग्रेस रिपोर्ट महंगाई दर का पूर्वनुमान भी देती है. रिपोर्ट कहती है कि केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों का प्रभाव भी विकास पर दिखना चाहिए. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 2024-25 में औसत 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, और यह अनुमान पिछले वर्ष के औसत 5.4 प्रतिशत से कम है.
रिपोर्ट दुनिया के लिए यह सन्देश भी देती है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता और मौसम की स्थिति विकास के लिए मुख्य जोखिम होती हैं और विकास के रस्ते पर बाधा बनती हैं. .
खरीफ है शरीफ इस बार
खरीफ की फसल को लेकर भी रिपोर्ट में चर्चा हुई है. इसमें कहा गया है कि इस वर्ष खरीफ की बुआई अधिक हुई है, परन्तु ज्यादा और बेमौसम की वर्षा के असर का पता लगाने की आवश्यकता है. चालू वित्त वर्ष की बाकी बची अवधि में प्रतिकूल मौसम की हालत खाद्य महंगाई के लिए जोखिम बनी हुई है जो कृषि आय के लिए चुनौती बनेगी अर्थात बाधा बन सकती है.