Manmohan Sharma के प्रश्न अपने उत्तरों की प्रतीक्षा में हैं जबकि लगता है कि इनकी प्रतीक्षा कभी पूरी नहीं होगी -क्योंकि उत्तर दिये तो कलई खुल जायेगी..
सिरसा जी, क्या यह सच नहीं है कि कल तक मुस्लिम-सिख भाई-भाई के नारे लगाने वाले और पंजाब और कश्मीर में हुए खालिस्तानी प्रदर्शनों में पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाने वालों की आजतक नजरें बंद थी? जो कि अब श्रीनगर में दो सिख किशोरियों के जबरन निकाह किए जाने के कारण खुली हैं?
क्या यह सच नहीं है कि दिल्ली में हुए दंगों के बाद दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने खर्चे पर 40 कश्मीरी मुस्लिम छात्राओं को दिल्ली से निकालकर उनके घर कश्मीर सुरक्षित भिजवाया था?
क्या यह सच नहीं है कि श्रीमती इंदिरा गांधी के हत्यारों की सहायता के लिए दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के फंड से वकील उपलब्ध करवाए गए थे?
क्या यह सच नहीं है कि 1984 में देश से विद्रोह करने वाले सिख फौजियों को आज भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के फंड से हर महीने पेंशन दी जाती है? ये पेंशन उन्हें धर्मी फौजी के नाम पर दी जा रही हैं?
क्या यह सच नहीं है कि जम्मू में खालिस्तानियों ने कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे सैनिक अभियान के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किए थे?
क्या यह सच नहीं है कि कश्मीर के उग्रवादियों की हमदर्दी में पंजाब में कम-से-कम एक दर्जन स्थानों पर न केवल उग्र प्रदर्शन ही किए गए बल्कि संपूर्ण हड़ताल भी की गई?
बादल सरकार के समय जब खालिस्तानी उग्रवादियों ने 23 हिन्दू नेताओं की खुलेआम हत्या की थी तो क्या उसकी निंदा में दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने कोई प्रस्ताव पास किया था ?
अगर ये तथ्य गलत हैं तो आप इसका स्पष्टीकरण करने की कृपा करें। ताकि इस सम्बन्ध में फैली हुई भ्रांतियों का निराकरण हो सके!
(मनमोहन शर्मा)