Vladimir Putin व्लादिमीर पुतिन का दाहिना हाथ क्यों नहीं हिलता? KGB ट्रेनिंग, ‘गनस्लिंगर चाल’ और सत्ता के मनोविज्ञान की पूरी कहानी..
क्या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हर समय बंदूक निकालने की स्थिति में रहते हैं? यह सवाल वर्षों से दुनिया भर के लोगों के मन में उठता रहा है। इसका कारण कोई भाषण, कोई सैन्य आदेश या कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि उनका चलने का तरीका है। विशेष रूप से उनका दाहिना हाथ, जो चलते समय लगभग स्थिर रहता है और शरीर से सटा हुआ दिखाई देता है। पहली नजर में यह किसी बीमारी या शारीरिक कमजोरी का संकेत लग सकता है, लेकिन सच्चाई इससे कहीं अधिक गहरी, ऐतिहासिक और रहस्यमयी है।
व्लादिमीर पुतिन के दाहिने हाथ की यह स्थिरता किसी मेडिकल समस्या का नतीजा नहीं है, बल्कि यह उनके जासूसी अतीत और कठोर कमांडो प्रशिक्षण की पहचान मानी जाती है। यह उस दौर की झलक देती है जब दुनिया शीत युद्ध के कारण दो खेमों में बंटी हुई थी और जासूसी एक अदृश्य लेकिन जानलेवा खेल हुआ करती थी। अक्सर कहा जाता है कि किसी व्यक्ति को KGB से तो बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन उसके भीतर से KGB को कभी पूरी तरह नहीं हटाया जा सकता। पुतिन की चाल इस कहावत को व्यवहार में बदलती हुई नजर आती है।
जब भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में गिने जाने वाले व्लादिमीर पुतिन किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रवेश करते हैं, किसी रेड कार्पेट पर चलते हैं या क्रेमलिन के गलियारों से गुजरते हैं, तो कैमरे केवल उनके चेहरे पर नहीं, बल्कि उनके पूरे हाव-भाव पर टिके रहते हैं। उनकी नीतियां, उनके फैसले और उनकी रणनीतियां तो चर्चा में रहती ही हैं, लेकिन वर्षों से न्यूरोलॉजिस्ट, खुफिया विशेषज्ञ और बॉडी लैंग्वेज एनालिस्ट एक और रहस्य को समझने की कोशिश करते रहे हैं—पुतिन की चाल।
अगर ध्यान से देखा जाए, तो चलते समय पुतिन का बायां हाथ सामान्य रूप से आगे-पीछे झूलता है, जबकि उनका दाहिना हाथ लगभग उनकी कमर के पास, दाहिनी जांघ से सटा हुआ रहता है। वह न के बराबर हिलता है, जैसे किसी अदृश्य हथियार को थामे हुए हो। विशेषज्ञों ने इस चाल को “गनस्लिंगर गेट” यानी बंदूकधारी की चाल का नाम दिया है। यह वही अंदाज है, जिसमें व्यक्ति किसी भी पल हथियार निकालने के लिए तैयार रहता है।
सामान्य रूप से इंसान के चलने का तरीका जैव-यांत्रिकी के नियमों पर आधारित होता है। जब बायां पैर आगे बढ़ता है, तो दाहिना हाथ आगे आता है और जब दाहिना पैर चलता है, तो बायां हाथ झूलता है। इससे शरीर का संतुलन बना रहता है। लेकिन पुतिन के मामले में यह प्राकृतिक नियम टूटता हुआ नजर आता है। चाहे वे किसी सैन्य परेड का निरीक्षण कर रहे हों या किसी सरकारी कार्यक्रम में भाग ले रहे हों, उनका बायां हाथ लय में चलता है, जबकि दाहिना हाथ लगभग जड़ बना रहता है।
यह चाल किसी हॉलीवुड फिल्म के वाइल्ड वेस्ट काउबॉय की याद दिलाती है, जो हर पल अपनी कमर में बंधी रिवॉल्वर निकालने के लिए सतर्क रहता है। इसी समानता के कारण इस चाल को “गनस्लिंगर गेट” कहा गया। शुरुआत में पश्चिमी मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तरह-तरह की अटकलें लगाई गईं। कुछ लोगों ने इसे पार्किंसंस रोग से जोड़ा, तो कुछ ने दावा किया कि पुतिन को स्ट्रोक आया होगा। लेकिन समय के साथ ये मेडिकल थ्योरी टिक नहीं पाईं।
इस रहस्य को गंभीरता से सुलझाने की कोशिश वर्ष 2015 में हुई, जब पुर्तगाल, इटली और नीदरलैंड के न्यूरोलॉजिस्ट्स की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पुतिन की चाल पर गहन अध्ययन किया। यह शोध प्रतिष्ठित “ब्रिटिश मेडिकल जर्नल” (BMJ) में प्रकाशित हुआ। अध्ययन का नेतृत्व नीदरलैंड के रेडबौड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर बास्टियन ब्लोम ने किया। उनकी टीम ने पुतिन के दर्जनों सार्वजनिक वीडियो का बारीकी से विश्लेषण किया।
शुरुआती चरण में डॉक्टरों को लगा कि यह पार्किंसंस रोग का शुरुआती संकेत हो सकता है, क्योंकि इस बीमारी में अक्सर शरीर के एक हिस्से में अकड़न और हाथ की गति में कमी देखी जाती है। लेकिन जब पुतिन की अन्य गतिविधियों पर गौर किया गया, तो यह निष्कर्ष टिक नहीं पाया। पुतिन के पास जुडो में ब्लैक बेल्ट है। वे विरोधियों को पटकते हैं, भारी वजन उठाते हैं, तैराकी करते हैं और अपने दाहिने हाथ से बिना किसी कंपन के हस्ताक्षर करते हैं। मीटिंग्स के दौरान वे उसी हाथ से तेजी से नोट्स भी लेते हैं। यदि उन्हें कोई न्यूरोलॉजिकल बीमारी होती, तो इतनी सटीक और शक्तिशाली मोटर स्किल्स संभव नहीं होतीं।
इसके बाद शोधकर्ताओं ने पुतिन के अतीत की ओर रुख किया, जहां उन्हें असली जवाब मिला—सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB। व्लादिमीर पुतिन ने लगभग 16 वर्षों तक KGB के लिए काम किया। वे पूर्वी जर्मनी में तैनात रहे और एक प्रशिक्षित जासूस थे। KGB एजेंटों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती थी, जिसमें चलने-फिरने तक के नियम शामिल होते थे।
एक पुराने KGB ट्रेनिंग मैनुअल के अनुसार, एजेंटों को निर्देश दिया जाता था कि चलते समय हथियार वाले हाथ को अधिक न हिलाया जाए और उसे छाती या कमर के पास स्थिर रखा जाए। इसका उद्देश्य यह था कि किसी आपात स्थिति में, भीड़ के बीच या मिशन के दौरान, हथियार निकालने में एक पल भी बर्बाद न हो। जासूसी की दुनिया में एक सेकंड की देरी का मतलब जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन ने इस नियम का इतने लंबे समय तक और इतनी कठोरता से पालन किया कि यह उनकी मांसपेशियों की स्मृति यानी “मसल मेमोरी” का हिस्सा बन गया। आज भले ही वे राष्ट्रपति हों और सार्वजनिक रूप से हथियार न रखते हों, लेकिन उनका शरीर अब भी उसी प्रशिक्षण के अनुसार प्रतिक्रिया देता है।
यह थ्योरी तब और मजबूत हुई जब शोधकर्ताओं ने पाया कि पुतिन अकेले ऐसे रूसी नेता नहीं हैं जिनकी चाल ऐसी है। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव, पूर्व रक्षा मंत्री अनातोली सेरद्युकोव और KGB के पूर्व अधिकारी सर्गेई इवानोव भी लगभग इसी अंदाज में चलते हैं। मेदवेदेव का सैन्य या जासूसी पृष्ठभूमि न होना इस रहस्य को और दिलचस्प बनाता है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह “बॉस की नकल” का मामला हो सकता है, जहां प्रभावशाली नेता के हाव-भाव को अधीनस्थ अनजाने में अपना लेते हैं।
समय के साथ पुतिन की यह चाल सत्ता, नियंत्रण और ‘अल्फा मेल’ छवि की प्रतीक बन गई। पुतिन को अक्सर घोड़े की सवारी करते, ठंडे साइबेरिया में शर्टलेस मछली पकड़ते और खतरनाक गतिविधियों में शामिल होते देखा गया है। उनका स्थिर दाहिना हाथ और नियंत्रित चाल उनकी कठोर और ताकतवर नेता की छवि को और मजबूत करती है।
हालांकि कुछ विशेषज्ञ अब भी जन्मजात नसों की समस्या या पुरानी चोट जैसी वैकल्पिक थ्योरी पेश करते हैं, लेकिन मजबूत शारीरिक क्षमता और मेडिकल प्रमाणों की कमी के कारण ये तर्क कमजोर माने जाते हैं। अधिकांश शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पुतिन की यह चाल किसी बीमारी का संकेत नहीं, बल्कि KGB ट्रेनिंग से उपजी एक व्यवहारिक आदत है, जो दशकों बाद भी उनके शरीर और व्यक्तित्व में बनी हुई है।
(प्रस्तुति -त्रिपाठी पारिजात)



