Amit Garg Shukla writes: कई साजिशें जो आसमानी दिखाई देती हैं ऐतिहासिक भी होती हैं जिसमे जितने पराये शामिल होते हैं उतने ही कई बार अपने भी शामिल होते हैं..
जिस दौर में ऑस्ट्रेलिया टीम को हरा पाना किसी भी टीम के लिए सपने सरीखा हुआ करता था, उस दौर में सौरभ गांगुली की अगुवाई वाली टीम इंडिया ने कई मौकों पर ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त दी थी । टेस्ट और वनडे दोनों ही तरह के मैचों में हमने ऑस्ट्रेलिया के विजय रथ को रोका था । फिर भी 2003 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज से फाइनल तक हम सिर्फ 2 मैच हारे और दोनों ही बार ऑस्ट्रेलिया ने हमें हराया ।
लेकिन इस दौरान ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड को एक बात समझ आ चुकी थी अगले कुछ वर्षों में क्रिकेट में उनकी बादशाहत को कोई चुनौती दे सकता है तो वो है टीम इंडिया । और फिर संयोग कहें या प्रयोग ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को टीम इंडिया का हेड कोच बना दिया गया ।
सुनने में आया था कि BCCI किसी भारतीय क्रिकेटर को कोच बनाना चाहता था, लेकिन कैप्टन सौरभ गांगली ग्रेग चैपल को कोच बनाए जाने पर अड़े हुए थे । और आखिर में वही हुआ जो गांगुली चाहते थे । साल 2005 में ग्रेग चैपल टीम इंडिया के हेड कोच बन गए।
कोच बनने के बाद ग्रेग चैपल अपने मिशन पर लग गए । उनका मिशन था टीम इंडिया की बर्बादी । इस कड़ी में उन्होंने सबसे पहला शिकार किया उन्हीं सौरभ गांगुली का जिन्होंने ग्रेग चैपल को कोच बनाए जाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया था । पहले गांगुली की कप्तानी गई और फिर बाद में टीम से भी बाहर हो गए ।
ग्रेग चैपल के अगले शिकार बने इरफान पठान । जो इरफान पठान अपनी स्विंग गेंदबाज़ी के लिए जाने जाते थे ग्रेग चैपल उन्हें विशुद्ध बल्लेबाज़ बनाने में जुट गए । और आखिर में हुआ ये कि इरफान पठान ना तो बल्लेबाज़ बन पाए और ना ही स्विंग गेंदबाज रह गए।
फिर आया 2007 का वर्ल्डकप। बांग्लादेश से हारकर टीम इंडिया ग्रुप स्टेज से ही विश्वकप से बाहर हो गई । 2007 वाला विश्वकप जीतकर ऑस्ट्रेलिया टीम लगातार तीसरी बार विश्वविजेता बनी । 2003 के विश्वकप में टीम इंडिया जिस तरह से खेली थी उस लिहाज से 2007 में ऑस्ट्रेलिया की विश्वकप जीत की हैट्रिक में टीम इंडिया ही बाधा बन सकती थी । इसलिए ऑस्ट्रेलियाई ग्रेग चैपल ने बाधा और बाधक दोनों को ठिकाने लगा दिया था ।
2005 से 2007 तक के अपने कार्यकाल में ग्रेग चैपल ने टीम इंडिया को जिस तरह से बर्बाद किया, उसी तरह की बर्बादी की बुनियाद रख रहे हैं मौजूदा कोच गौतम गंभीर । गांगुली को किनारे लगाकर जैसे ग्रेग चैपल 2005 से ही 2007 विश्वकप की तैयारी का दंभ भर रहे थे वही दंभ गंभीर भी भर रहे हैं । रोहित और विराट को किनारे लगाकर 2027 वर्ल्डकप की टीम तैयार करने का दावा कर रहे हैं ।
ऐसा करने के क्रम में उन्होंने सबसे पहला शिकार किया रोहित शर्मा का । इसी साल 9 मार्च को बतौर कप्तान रोहित शर्मा ने टीम इंडिया को चैंपियंस ट्रॉफी जिताई । उसके बाद से 18 अक्टूबर तक टीम इंडिया ने एक भी वनडे मैच नहीं खेला । बावजूद इसके 4 अक्टूबर को जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम इंडिया का ऐलान हुआ तो रोहित शर्मा को कप्तानी से हटाकर शुभमन गिल को कैप्टन बना दिया गया । सवाल उठा क्या रोहित शर्मा को चैंपियंस ट्रॉफी जिताने की सज़ा मिली ?? मुख्य चयनकर्ता अजीत आगरकर ने जवाब दिया भविष्य की टीम तैयार कर रहे हैं ।
समय और समझ से पहले शुभमन गिल को कप्तान बना दिया गया । नतीजा ये हुआ कि टीम इंडिया, ऑस्ट्रेलिया से सीरीज़ हारी और कप्तानी के प्रेशर में गिल बतौर बल्लेबाज़ तीनों ही मैचों में फ्लॉप रहे । उधर तीन मैचों में 202 रन बनाकर रोहित शर्मा प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ बने । मतलब जिन रोहित शर्मा को अजीत अगरकर और गौतम गंभीर बूढ़ा बोलकर टीम से निकालने की फ़िराक़ में थे, वही रोहित शर्मा 38 साल की उम्र में ICC रैंकिंग में नंबर वन बल्लेबाज़ बन गए ।
यही नहीं गिल को टी20 में सेट करने के लिए, गंभीर ने जायसवाल को सिर्फ टेस्ट क्रिकेट तक सीमित कर दिया है । जबकि जयसवाल तीनों ही फॉर्मेट खेलने की हर योग्यता पर पूरी तरह से फिट बैठ रहे हैं । इसके अलावा जो संजू सैमसन, अभिषेक शर्मा के साथ ओपनिंग करके टीम इंडिया को लगातार मैच जिता रहे थे, अब उन्हें ये नहीं मालूम होता कि किस नंबर पर बल्लेबाज़ी करनी है । हर्षित राणा को टेस्ट, वनडे, और टी20 टीम में घुसाए रखने के लिए गौतम गंभीर कभी कुलदीप के साथ खेल करते हैं, कभी अर्शदीप के साथ ।
पूरी टीम में उथल पुथल मचा रखी है गौतम गंभीर ने । सवाल ये कि ग्रेग चैपल जैसा कांड कर जाने तक बीसीसीआई चुप रहेगा या फिर समय रहते गंभीर का इलाज करेगा ? बीते 25 सालों में टीम इंडिया की कोचिंग लिस्ट में जॉन राइट, लालचंद राजपूत, गैरी क्रिस्टन और राहुल द्रविड़ को सफल कोच के रूप में जाना जाता है । इन सबने शांत रहकर अपना काम किया । खिलाड़ियों को तराशा, टीम को पिरोया, विजेता बनाया और चले गए । और अभी वाले क्या कर रहे हैं सबको दिख रहा है, सिवाय BCCI के ।
(अमित गर्ग शुक्ला)



