Speak Sanskrit: डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा के समर्पित नेतृत्व में देवभाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार का अश्वमेध अभियान अबाध गतिमान है और अब संपन्न हुआ निरंतर 37वाँ ऑनलाइन संस्कृत संभाषण शिविर ..
पटना २३ अक्टूबर। मानव लक्ष्मी के बिना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। परिश्रमी व्यक्ति के समीप ही लक्ष्मी रहती है। लक्ष्मी की महत्ता सभी ग्रन्थों में उपलब्ध है। लक्ष्मी धन, सौभाग्य और समृद्धि की देवी है -ये सभी बातें आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के प्रधान संरक्षक एवम् उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व गृह सचिव डॉ अनिल कुमार सिंह ने भगवती महालक्ष्मी स्मृति अन्तर्जालीय अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण शिविर के समापन समारोह का उद्घाटन करते हुए कही।
अपने अध्यक्षीय भाषण में अभियान के अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि यदि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो भारत के सभी नागरिकों को संस्कृत में विचार व्यक्त करना होगा।
मुख्यातिथि श्री धर्मेन्द्रपति त्रिपाठी (पूर्व संयुक्त निदेशक, पेंशन, उत्तर प्रदेश), मुख्य वक्ता श्री शैलेन्द्र कुमार सिन्हा, अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका प्रो रागिनी वर्मा, उपाध्यक्ष श्री उग्र नारायण झा एवं डॉ लीना चौहान, विशिष्टातिथि डॉ अनिल कुमार चौबे, डॉ अवन्तिका कुमारी, डॉ बिधु बाला, डॉ नीरा कुमारी आदि वक्ताओं ने विस्तार से महालक्ष्मी एवं संस्कृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर महालक्ष्मी संस्कृत भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें मनीष कुमार, अदिति चोला,तारा विश्वकर्मा, मुरलीधर शुक्ल, डॉ रागनी कुमारी, डॉ पल्लवी, विमलेश पाण्डेय,बीजेन्द्र सिंह,स्वाति,आयुष रंजन,रीना, भव्या राज, शुभांगी परासर की प्रस्तुति सराहनीय रही।
मनीष कुमार एवम् अदिति चोला को प्रथम पुरस्कार,तारा विश्वकर्मा एवं मुरलीधर शुक्ल को द्वितीय पुरस्कार तथा डॉ रागनी कुमारी एवं डॉ पल्लवी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
वैदिक मंगलाचरण उग्र नारायण झा, स्वागत भाषण डॉ लीना चौहान, स्वागत गीत डा नीरा कुमारी, धन्यवाद ज्ञापन मनीष कुमार तथा ऐक्य मन्त्र तारा विश्वकर्मा ने प्रस्तुत किया।



